नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा है कि प्रधानमंत्री द्वारा कल घोषित बीस लाख करोड रुपए के पैकेज से आर्थिक विकास को बढावा मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मदद मिलेगी। आज नई दिल्ली में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने आर्थिक पैकेज की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इस पैकेज को आत्मनिर्भर भारत अभियान का नाम दिया गया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने कल आत्मनिर्भर भारत की अपनी परिकल्पना की रूपरेखा देशवासियों के सामने प्रस्तुत की थी और भारतीयों को स्थानीय उत्पादों की खरीद के लिए प्रोत्साहित किया था। वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की यह परिकल्पना समाज के विभिन्न वर्गों के साथ विचार-विमर्श के बाद तैयार की गई।
श्रीमती सीतारामन ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत उत्पादन, श्रम, भूमि, वित्तीय तरलता और उद्योगों संबंधी कानूनों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस उपायों से उद्यमियों के लिए भारत में कारोबार करना और आसान हो जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि अभियान का उद्देश्य स्थानीय ब्रांड वाले उत्पादों को विश्व स्तर पर सामने लाना है।
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का अर्थ सारी दुनिया से अपने आप को अलग-थलग करना नहीं है।
वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए 15 उपायों की घोषणा की जिनमें से छह सूक्ष्म, लघु और माध्यम उद्यमों-एमएसएमई से संबंधित हैं। एक महत्वपूर्ण कदम के तहत सूक्ष्म, लघु और माध्यम उद्यमों की परिभाषा में अमूल परिवर्तन किया गया है और उनमें निवेश तथा उनके वार्षिक कारोबार की सीमा भी बदल दी गई है। सेवा और विनिर्माण उद्यमों के अंतर को भी दूर कर दिया गया है। एक करोड रूपए तक की निवेश वाली इकाइयां अब एमएसएमई के दायरे में आएंगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि संकट में फंसे एमएसएमई के लिए बीस हजार करोड रूपए का प्रावधान किया गया है। इन उद्यमों को तीन लाख करोड रूपए तक के ऋण बिना गारंटी के दिए जा सकेंगे। इस तरह की ऋण सहायता चार साल के लिए होगी और उद्यमी इसका फायदा 31 अक्टूबर तक उठा सकते हैं। पहले साल मूलधन और ब्याज नहीं चुकाना होगा। इस फैसले से 45 लाख उद्योगों को फायदा होगा। वित्त मंत्री ने एक अन्य महत्वपूर्ण घोषणा में एमएसएमई को ई-मार्केट से जोडने का भी एलान किया।
वित्त मंत्री ने घोषणा की कि छोटे उद्यमों में हिस्सेदारी खरीदने के लिए पचास हजार करोड रूपए की विशेष निधि बनायी जाएगी। इसके अलावा आर्थिक विकास की संभावना वाले एमएसएमई को पचास हजार करोड रूपए की सहायता भी दी जाएगी। वित्त मंत्री ने श्रमिकों के कल्याण के भी कई उपायों की घोषणा करते हुए कहा कि इससे 72 लाख मजदूरों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि ईपीएफ 12 प्रतिशत की बजाय दस प्रतिशत की दर से काटा जाएगा। 15 हजार रूपए मासिक से कम वेतन पाने वाले श्रमिकों का ईपीएफ सरकार अदा करेगी।
इसके अलावा, बिजली वितरण कंपनियों को 90 हजार करोड रूपए की सहायता की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि इससे इन कंपनियों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों- एनबीएफसी के लिए आर्थिक पैकेज में तीस हजार करोड रूपए की सहायता की घोषणा की गई है। सरकार ने कोविड-19 की वजह से अधूरी पड़ी रेलवे, सीपीडब्ल्यूडी और राष्ट्रीय राजमार्ग से संबंधित परियोजनाओं को पूरा करने की अवधि छह महीने बढा दी है।
वित्त मंत्री ने आयकरदाताओं को राहत देते हुए वर्ष 2019-20 के आयकर रिटर्न भरने की तारीख 30 नवंबर तक बढा दी है। विवाद से विश्वास योजना अंतर्गत अतिरिक्त राशि के भुगतान की तारीख 31 दिसंबर तक बढा दी गई है।