नई दिल्ली: उद्योगपति आनंद महिन्द्रा ने सोमवार को कहा कि यदि लॉकडाउन को अधिक लंबी अवधि के लिए बढ़ाया जाता है, तो यह देश के लिए आर्थिक हारा-किरी (यानी घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए आत्मघाती) साबित हो सकता है। महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन ने कहा कि लॉकडाउन (पाबंदी) से लाखों लोगों की जान बची है, लेकिन यदि इसे और बढ़ाया गया तो यह समाज के निचले तबके के लिए गंभीर मुश्किलें खड़ा कर सकता है। उन्होंने कहा कि जापान में युद्ध में पराजित होने वाले योद्धाओं के बंदी बनाए जाने से बचने के लिए अपने ही चाकू को अपने पेट में घोंप कर आत्महत्या करने की प्रथा को हाराकीरी कहा जाता था।
महिन्द्रा ने एक ट्वीट में कहा, पिछले कुछ दिनों में ग्राफ की तेजी पर अंकुश लगने के बावजूद नए मामलों की संख्या बढ़ी है। हमारी आबादी और शेष दुनिया के सापेक्ष कम मामलों को देखते हुए अधिक जांच के साथ साथ संक्रमण के नए मामलों की वृद्धि अपरिहार्य है। हम सुगमता से ग्राफ के समतल होने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लॉकडाउन ने मदद नहीं की है।
महिन्द्रा ने कहा कि भारत ने अपनी सामूहिक लड़ाई में लाखों संभावित मौतों को टाला है। भारत में प्रति 10 लाख लोगों पर मृत्यु की दर 1.4 है, जो 35 के वैश्विक औसत और अमेरिका 228 की दर की तुलना में काफी कम है। हमें लॉकडाउन से चिकित्सा क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने का भी समय मिला है।
उन्होंने कहा, लेकिन अगर लॉकडाउन को लंबे समय तक बढ़ाया जाता है, तो देश आर्थिक हारा-किरी करने के जोखिम में पहुंच जाएगा। वृद्धि करती हुई अर्थव्यवस्था रोजगार के लिए ऑक्सीजनमहिन्द्रा ने कहा, काम-काज करती हुई और वृद्धि करती हुई अर्थव्यवस्था आजीविका के लिए एक प्रतिरक्षा प्रणाली की तरह है। लॉकडाउन इस प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है और हमारे समाज में सबसे अधिक हानि पहुंचाता है।
महिन्द्रा ने कहा कि देश का लक्ष्य टाली जा सकने वाली मौतों को टाला जाना होना चाहिए। देश को तेजी से ऑक्सीजन लाइनों से लैस अस्पताल बनाने, व्यापक जांच करने और संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों को खोज निकालने की जरूरत है। उन्होंने एक सहयोगी की बात दोहराते हुए ट्वीट किया, हमें वायरस के साथ ही रहना होगा। यह (वायरस) पर्यटक वीजा पर किसी अंतिम तिथि तक के लिए नहीं आया है।