ताज़ा खबरें
संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना
संविधान की प्रस्तावना में भी संशोधन कर सकती है संसदः सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: टाटा संस लिमिटेड ने गुरुवार को ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। बीते महीने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन के पद पर बहाल करने का आदेश दिया था। इसके अलावा उन्हें ग्रुप की तीन कंपनियों में डायरेक्टर बनाने का आदेश भी दिया था। अब इस फैसले को टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। टाटा संस ने ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद यह साफ कहा था कि वह इस फैसले के खिलाफ कानूनी मदद लेगी।

ट्रिब्यूनल ने टाटा संस को पब्लिक कंपनी से प्राइवेट कंपनी बनाए जाने को भी अवैध घोषित किया था। तीन साल पहले बड़े ड्रामे के बाद साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप के चेयमैन पद से हटा दिया गया था, उन्हें बीते महीने एनसीएलएटी से बड़ी राहत मिली। एनसीएलटी ने साइरस मिस्त्री टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन के पद पर फिर से बहाल करने का आदेश दिया है। न्यायाधिकरण ने एन चंद्रा की नियुक्ति को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में अवैध ठहराया।

सायरस मिस्त्री के पक्ष में फैसला देते हुए एनसीएलएटी ने कहा कि मिस्त्री फिर से टाटा सन्स के कार्यकारी चेयरमैन बनाए जाएं, उन्हें हटाना गलत था।

बता दें एनसीएलएटी में केस हारने के बाद मिस्त्री अपीलेट ट्रिब्यूनल पहुंचे थे। एनसीएलटी ने 9 जुलाई 2018 के फैसले में कहा था कि टाटा सन्स का बोर्ड सायरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने के लिए सक्षम था। मिस्त्री को इसलिए हटाया गया क्योंकि कंपनी बोर्ड और बड़े शेयरधारकों को उन पर भरोसा नहीं रहा था। अपीलेट ट्रिब्यूनल ने जुलाई में फैसला सुरक्षित रखा था।

सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स के चेयरमैन पद से अक्टूबर 2016 को हटाए गए थे। दो महीने बाद मिस्त्री की ओर से सायरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प ने टाटा सन्स के फैसले को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) की मुंबई बेंच में चुनौती दी थी। कंपनियों की दलील थी कि मिस्त्री को हटाने का फैसला कंपनीज एक्ट के नियमों के मुताबिक नहीं था। जुलाई 2018 में एनसीएलटी ने उनके दावे को खारिज कर दिया। बाद में सायरस मिस्त्री ने खुद एनसीएलटी के फैसले के खिलाफ अपील की थी।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख