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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: लोकसभा ने आज कराधान कानून संशोधन विधेयक-2019 पारित कर दिया। यह विधेयक इस संबंध में जारी अध्‍यादेश का स्‍थान लेगा। इस विधेयक में घरेलू कम्‍पनियों को 22 प्रतिशत की दर से कर के भुगतान का विकल्‍प दिया गया है बशर्ते वे आय कर अधिनियम के तहत कटौती का दावा न करे। फिलहाल चार अरब रूपये तक के सालाना सकल करोबार वाली घरेलू कम्‍पनियों को 25 प्रतिशत तथा अन्‍य घरेलू कम्‍पनियों को तीस प्रतिशत आय कर देना पड़ता है।

विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि नये विनि‍र्माताओं सहित घरेलू कम्‍पनियों के लिए कॉरपोरेट कर में कटौती का सरकार का फैसला चीन और अमरीका के बीच मौजूदा व्‍यापार युद्ध के संदर्भ में किया गया है। उन्‍होंने कहा कि दक्षिण-पूर्व एशिया के अनेक देशों में कॉरपोरेट कर की दरें कम की है। इसके मद्देनजर भारत ने भी कॉरपोरेट कर घटाया है। उन्‍होंने कहा कि इस कदम से निवेश बढ़ेगा, आर्थिक वृद्धि को प्रोत्‍साहन मिलेगा और रोजगार बढ़ेंगे।

वित्त मंत्री ने कहा कि देश की अर्थव्‍यवस्‍था अच्‍छी स्थिति में हैं। नवम्‍बर में प्रत्‍यक्ष कर संग्रह में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई और जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। वित्त मंत्री ने कहा कि सभी कल्‍याण योजनाओं पर खर्च के बावजूद देश का राजकोषीय अनुशासन नियंत्रण में है और चार प्रतिशत से काफी नीचे है। वित्त मंत्री ने कहा कि नई कर छूट केवल उन्‍हीं कम्‍पनियों को मिलेगी जो इस वर्ष अक्‍टूबर के बाद स्‍थापित की गयी है।

कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार को यह स्‍पष्‍ट करना चाहिए कि अध्‍यादेश लाये जाने के बाद पिछले दो महीनों में क्‍या परिणाम हासिल हुए। उन्‍होंने विनिर्माण क्षेत्र में मांग बढ़ाने के लिए सरकार को जीएसटी की दर कम करने का सुझाव दिया। डीएमके, ऑल इंडिया अन्‍ना डी एम के, मार्क्‍सवादी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी और तृणमूल सहित अन्‍य राजनीतिक दलों के सदस्‍यों ने भी विधेयक पर बहस में हिस्‍सा लिया।

नई घरेलू विनिर्माण कम्‍पनियों को पन्‍द्रह प्रतिशत आय कर देने का विकल्‍प उपलब्‍ध कराया गया है बशर्ते वे निश्चित कटौती का दावा न करें। इन कम्‍पनियों की स्‍थापना और पंजीकरण तीस सितम्‍बर-2019 के बाद होनी चाहिए। ऐसी कम्‍पनियों को पहली अप्रैल-2023 से पहले विनिर्माण शुरू कर देना चाहिए।

विधेयक में कहा गया है कि कोई भी कम्‍पनी वित्‍त वर्ष 2019-20 या भविष्‍य में किसी अन्‍य वित्त वर्ष में कर की नई दर चुन सकती है। यह विकल्‍प चुनने के बाद कम्‍पनी पर अन्‍य सभी वर्षों में नई कर व्‍यवस्‍था लागू होगी। विधेयक में यह भी कहा गया है कि कर की नई दरों का विकल्‍प चुनने वाली कम्‍पनियों पर न्‍यूनतम वैकल्पिक कर भुगतान संबंधी प्रावधान लागू नहीं होंगे।

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