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मुंबई: मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने रियल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल और पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। आर्थिक अपराध शाखा ने मामले की तफ्तीश के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। पुलिस ने कंपनी और बैंक के 14 अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराएं 409, 420, 465, 466, 471 और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) के कई खाताधारकों ने बैंक के अधिकारियों के खिलाफ गुरुवार को पुलिस में सामूहिक शिकायत दर्ज कराई थी।एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि ग्राहकों की ओर से बैंक के चेयरमैन और उसके निदेशकों के खिलाफ जनता के धन का गबन करने की शिकायत दर्ज कराई गई है। बैंक के खाताधारकों का एक प्रतिनिधिमंडल मध्य मुंबई के सियान पुलिस स्टेशन गया और बैंक अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक पर नियामकीय खामियों के चलते कई पाबंदियां लगाई हैं।

पुलिस अधिकारी ने कहा, शिकायत में आरोप लगाया गया है कि पीएमसी बैंक के चेयरमैन और उसके सभी निदेशकों सहित कम से कम 14 लोगों ने खाताधारकों के धन का गबन किया है। खाताधारकों ने अपनी शिकायत में इस बारे में उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है। खाताधारकों ने कहा है कि शिकायत में जिन लोगों का नाम है, उनका पासपोर्ट जब्त किया जाए जिससे वे देश छोड़कर नहीं जा सकें। इसके अलावा खाताधारको ने बैंक के चेयरमैन और निदेशकों से ग्राहकों के धन के गबन पर स्पष्टीकरण देने को भी कहा है।

महाराष्ट्र में कार्यरत रियल एस्टेट सेक्टर की प्रमुख कंपनी एचडीआईएल जल्द ही दिवालिया घोषित हो जाएगी। वधावन समूह के स्वामित्व वाली इस कंपनी के निदेशकों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी हो गया है। मंगलवार को कंपनी के निदेशकों को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने समन जारी करते हुए पेश होने को कहा है।

दो शिकायतों पर हो रही है जांच

पुलिस ने अपनी जांच को दो शिकायत मिलने के बाद कंपनी के उपाध्यक्ष और प्रबंंध निदेशक सारंग वधावन को पेश होने के लिए कहा है। अगस्त महीने में मैक स्टार मार्केटिंग के निदेशक ने एचडीआईएल के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। मैक स्टार की प्रवर्तक कंपनी ओशिएन डेटी की एचडीआईएल के साथ 78 फीसदी की हिस्सेदारी है।

एक लोन चुकाने के लिए लिया था लोन

एचडीआईएल ने बैंक ऑफ इंडिया का 100 करोड़ का लोन चुकाने के लिए पीएमसी बैंक से लोन लिया था। पुलिस इस मामले में एक अन्य बैंक --यस बैंक से भी पूछताछ करने जा रही है। केवल एक बैंक खाते की वजह से भारतीय रिजर्व बैंक ने 35 साल पुराने पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक पर सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। केंद्रीय बैंक के इस अप्रत्याशित कदम से बैंकिंग सेक्टर के साथ ही ग्राहकों में भी खलबली मची हुई है। कई लोगों को लग रहा है कि आरबीआई के नियमों की अनदेखी करने से पीएमसी बैंक पर यह नकेल कसनी पड़ी, जिससे सबसे ज्यादा परेशानी बैंकों के ग्राहकों को उठानी पड़ेगी।

बैंक ने खोले थे डमी खाते

सूत्रों ने बताया कि, पिछले 10 सालों से हाउसिंग कंपनी एचडीआईएल को पैसे दिलाने के लिए बैंक ने कईं डमी खाते खोले थे। पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व एमडी जॉय थॉमस ने गलत तरीके से एचडीआईएल की मदद की थी। बैंक ने कुल कर्ज का 73 फीसदी यानी 6,226 करोड़ रुपये एचडीआईएल को दिए थे। बता दें कि रियल एस्टेट सेक्टर की प्रमुख कंपनी एचडीआईएल अब दिवालिया हो गई है।

कुल कर्ज का दो-तिहाई हिस्सा

एचडीआईएल को मामले में एक सूत्र ने बताया कि, 'यह आश्चर्य की बात है कि बैंक की तरफ से बांटे गए कुल कर्ज का दो-तिहाई हिस्सा सिर्फ एक ही कंपनी को दिया गया। उसने कहा कि हो सकता है कि बैंक साल 2008 से ही फर्जीवाड़ा कर रहा है। बैंक के चेयरमैन वरयाम सिंह एचडीआईएल के बोर्ड में शामिल थे। बैंक द्वारा एचडीआईएल को रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन के तौर पर कितना कर्ज दिया गया, इसका खुलासा नहीं किया गया था, जो नियमों के विरुद्ध है।

एक महीने पहले दिया लोन

बैंक ने एक माह पहले ही एचडीआईएल के मालिक सारंग वधावन को यह पर्सनल लोन दिया था ताकि वो बैंक ऑफ इंडिया से लिए गए लोन की भरपाई कर सकें। बैंक ऑफ इंडिया ने लोन की किश्त जमा नहीं करने पर एचडीआईएल के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में याचिका दायर की थी। बैंक ऑफ इंडिया से कंपनी ने 520 करोड़ रुपये का लोन ले रखा था। आरबीआई ने कार्रवाई बैंकिग रेलुगेशन एक्ट, 1949 के सेक्शन 35ए के तहत की है। प्रतिबंध सेक्शन 35 A के तहत लगाया गया है।

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