नई दिल्ली: बुनियादी क्षेत्र के आठ उद्योगों का उत्पादन इस वर्ष अगस्त में सालाना आधार पर 0.5 फीसदी नीचे रहा। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त अवधि में बुनियादी उद्योगों की उत्पादन वृद्धि दर 2.4 फीसदी है। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में इसी अवधि में इनकी वृद्धि दर 5.7 फीसदी थी। यह पिछले 45 माह के सबसे निचले स्तर पर है। आठ प्रमुख उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उवर्रक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल है। पिछले साल अगस्त में इन क्षेत्रों का उत्पादन सालाना आधार पर 4.7 फीसदी ऊंचा रहा था।
इतनी गिरावट हुई दर्ज
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अगस्त 2019 में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, सीमेंट और बिजली क्षेत्र में क्रमश: 8.6 फीसदी, 5.4 फीसदी, 3.9 फीसदी, 4.9 फीसदी और 2.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है।
इन सेक्टर में बढ़ा उत्पादन
हालांकि उवर्रक, इस्पात और रिफाइनरी उत्पाद का उत्पादन गतवर्ष अगस्त की तुलना में क्रमश: 2.9 फीसदी, पांच फीसदी और 2.6 फीसदी बढ़ा है। जुलाई मेंआठ कोर सेक्टर में ग्रोथ रेट केवल 2.1 फीसदी रहा था। पिछले साल इसी दौरान यह 7.3 फीसदी था।
देश में हैं यह आठ कोर सेक्टर
कोयला, क्रूड ऑयल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, उर्वरक, सीमेंट, बिजली और इस्पात आठ कोर सेक्टर हैं। इन सेक्टर का देश के औद्योगिक उत्पादन इंडेक्स में 40 फीसदी योगदान है।वैश्विक मोर्चे पर बिगड़ती स्थितियों के बीच निजी निवेश और उपभोक्ता मांग में सुस्ती से भारत की आर्थिक वृद्धि दर जून तिमाही में कम होकर पांच प्रतिशत पर आ गई है। यह पिछले छह साल की सबसे कम वृद्धि दर है।अगस्त में, बिक्री में 15 महीनों में सबसे धीमी गति से विस्तार हुआ है। जिसका उत्पादन वृद्धि और रोजगार सृजन पर भी दबाव पड़ा है। इसके अलावा, कारखानों ने मई 2018 के बाद पहली बार खरीदारी में कमी की है।
इतना फिसले कोर सेक्टर
आईएचएस मार्किट का इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) जुलाई में 52.5 से गिरकर अगस्त में 51.4 पर आ गया। यह मई 2018 के बाद का सबसे निचला स्तर है। लागत बढ़ने और डिमांड घटने की वजह से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ में कमी आई है। जुलाई में PMI इंडेक्स घटकर 51.4 पर आ गया है।
18 माह से जीडीपी में गिरावट
इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी 5.8 फीसदी से घटकर के पांच फीसदी रह गई है। वित्त मंत्रालय के केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने इन आंकड़ों को जारी किया है। पिछले साल यह इसी दौरान आठ फीसदी के पार थी। वहीं पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में यह 5.8 फीसदी थी।
साढ़े छह साल में सबसे सुस्त रफ्तार
वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर की पिछले साढ़े छह सालों में सबसे ज्यादा सुस्त रफ्तार देखने को मिली।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 12.1 फीसदी के मुकाबले 0.6 फीसदी ग्रोथ देखने को मिली।
कृषि क्षेत्र में ग्रोथ 5.1 फीसदी से घटकर के दो फीसदी रह गई है।
खनन क्षेत्र में ग्रोथ 0.4 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली थी, जो अब बढ़कर के 2.7 फीसदी हो गई है।
कंस्ट्रक्शन सेक्टर में पिछले साल की पहली तिमाही में ग्रोथ 9.6 फीसदी थी जो अब घटकर के 5.7 फीसदी रह गई है।
होटल, ट्रांस्पोर्ट और ट्रेड सेक्टर में ग्रोथ 7.8 फीसदी से घटकर के 7.1 फीसदी रह गई है।
वित्तीय, रियल एस्टेट सेक्टर में ग्रोथ 6.5 फीसदी से घटकर के 5.9 फीसदी रह गई है।