नई दिल्ली: पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि सऊदी अरब का कच्चा तेल उत्पादन घटने से भारत की आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश है जबकि सऊदी अरब भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है। प्रधान ने ट्वीट किया, सऊदी अरामको के तेल संयंत्रों पर हमले के बाद कंपनी के शीर्ष अधिकारियों से संपर्क किया गया। हमने पेट्रोलियम विपणन कंपनियों से सितंबर महीने के लिए कुल कच्चे तेल की आपूर्ति की समीक्षा की। हमें पूरा भरोसा है कि भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी। हमारी स्थिति पर लगातार नजर है।
सऊदी अरब की कंपनी अरामको द्वारा परिचालित दुनिया के सबसे बड़े कच्चा तेल प्रसंस्करण कारखाने में ड्रोन हमले के बाद हुये नुकसान के समाचारों से कच्चे तेल के दाम अपने चार माह के उच्चस्तर पर पहुंच गए हैं। इस हमले से सऊदी अरब का आधा उत्पादन प्रभावित हुआ है। इससे दुनिया में करीब पांच प्रतिशत आपूर्ति बाधित हुई है। भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 83 प्रतिशत आयात करता है।
इराक के बाद भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता सऊदी अरब है। वित्त वर्ष 2018-19 में सऊदी अरब ने भारत को 4.03 करोड़ टन कच्चा तेल बेचा। वित्त वर्ष के दौरान भारत का कच्चे तेल का आयात 20.73 करोड़ टन रहा।
कच्चे तेल के दाम में सोमवार को भारी उछाल आया। ब्रेंट कच्चा तेल 19.5 प्रतिशत बढ़कर 71.95 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। कच्चे तेल का वायदा 1988 में शुरू हुआ था। उसके बाद से डॉलर मूल्य के लिहाज से यह सबसे बड़ी वृद्धि हुई है। अमेरिका का वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट वायदा 15.5 प्रतिशत बढ़कर 63.34 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहा था।
इससे पहले दिन में पेट्रोलियम मंत्रालय ने बयान में कहा था कि सऊदी अरामको के अधिकारियों ने 15 सितंबर को भारतीय रिफाइनरी कंपनियों को सूचित किया है कि उनके लिये आपूर्ति में किसी तरह की कमी नहीं होने दी जायेगी। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय भारतीय रिफाइनरी कंपनियों तथा सऊदी अरामको के साथ स्थिति पर निगाह रखे हुए है।
वुड मैकिंजी के उपाध्यक्ष (रिफाइनिंग) एलन गेल्डर ने कहा कि इस हमले का पेट्रोलियम बाजार पर असर होगा। सऊदी अरब से प्रतिदिन 50 लाख बैरल के नुकसान की भरपाई लंबे समय तक मौजूदा भंडारण और ओपेक प्लस समूह के सदस्यों की सीमित अतिरिक्त क्षमता से नहीं की जा सकती।