ताज़ा खबरें
संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि पेट्रोल-डीजल के वाहनों को प्रतिबंधित करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। वाहन निमार्ता कंपनियों के संगठन सियाम की 59वीं वार्षिक बैठक को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं के प्रश्न के उत्तर में गडकरी ने कहा कि पेट्रोल-डीजल के वाहनों को प्रतिबंधित करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गयी है और न ही ऐसा करने का सरकार का कोई इरादा है।

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद सरकार बिजली तथा वैकल्पिक ईंधनों से चलने वाले वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है क्योंकि देश पर पेट्रोलियम आयात का सात लाख करोड़ रुपये का सालाना बोझ पड़ता है। साथ ही प्रदूषण की गंभीर समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने स्वीकार किया कि मौजूदा आँकड़ों से यह स्पष्ट है कि वाहन उद्योग इस समय समस्याओं के दौर से गुजर रहा है। केंद्रीय मंत्री ने उद्योग को सरकार की तरफ से हर संभव मदद का आश्वासन दिलाया।

गडकरी ने बताया कि उन्होंने सियाम को सलाह दी है कि बैंकों द्वारा वाहन ऋण की उपलब्धता कम होने की स्थिति को देखते हुये वाहन कंपनियाँ अपना एनबीएफसी बनाकर वाहन ऋण दे सकती हैं। इससे उन्हें बिक्री बढ़ाने में मदद मिलेगी। सरकार अपनी तरफ से वाहन तथा दूसरे ऋणों की उपलब्धता बढ़ाने के प्रयास कर रही है। उद्योग भी इसमें सहयोग कर सकते हैं।

इस महीने की पहली तारीख से लागू नये मोटर वाहन अधिनियम का बचाव करते हुये उन्होंने कहा कि सरकार की इच्छा जुर्माना ज्यादा रखने की बिल्कुल नहीं है। वह चाहती है कि दुर्घटनाएँ कम हों ताकि लोगों की जान बच सके। उन्होंने बताया कि देश में हर साल पाँच लाख सड़क दुर्घटना होती है जिनमें डेढ़ लाख लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ती है।

कुछ राज्यों द्वारा अधिनियम को लागू नहीं किये जाने के प्रश्न पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 20 राज्यों के परिवहन मंत्रियों की समिति ने इसका प्रारूप विधेयक तैयार किया था जिसमें सात राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व था। इसके बाद विधेयक संसद की संयुक्त प्रवर समिति और स्थायी समिति के पास भेजा गया था।

सम्मेलन को संबोधित करते हुये गडकरी ने कहा कि सरकार पूरी तरह वाहन उद्योग के साथ है। बिक्री बढ़ाने के लिए उद्योग की जो भी सलाह हो वह सरकार को दे। सरकार उन पर विचार करेगी। गडकरी ने कहा कि कारोबार में उतार-चढ़ाव, नफा-नुकसान का दौर आता रहता है। इससे निराश होने की जरूरत नहीं है। वाहन उद्योग की सफलात की कहानी बहुत अच्छी रही है और आत्म विश्वास के बल पर वह इस उतार के दौर से उबर सकता है। उन्होंने कहा कि निर्यात बढ़ाकर घरेलू बाजार में कम हुई बिक्री की भरपाई की जा सकती है। इसके लिए सरकार भी जरूरी प्रोत्साहन योजना बना सकती है।

इससे पहले सियाम के अध्यक्ष राजन वढेरा ने बताया कि लगातार घटती बिक्री के कारण वाहन उद्योग की स्थिति बेहद खराब हो गयी है। वाहन निमार्ता कंपनियों ने तीन महीने में 50 हजार कर्मचारियों की छँटनी की है। वाहन डीलरों ने 2.8 लाख और कलपुजेर् बनाने वाली कंपनियों ने 10 लाख लोगों की छँटनी की है। इस प्रकार कुल मिलाकर 13 लाख से ज्यादा लोग नौकरी गँवा चुके हैं।

उन्होंने सरकार से वाहनों पर लगने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती की माँग की। जीएसटी के तहत वाहनों को 28 प्रतिशत के उच्चतम स्लैब में रखा गया है। इसके अलावा कई श्रेणियों के वाहनों पर अधिभार भी लगाया गया है। वढ़ेरा ने कहा कि यदि स्थायी रूप से संभव न हो तो कम से कम कुछ समय के लिए ही करों की दरों में कमी की जानी चाहिये।

भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष और कोटक महिंद्रा बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदय कोटक ने कहा कि वाहन उद्योग को देश में आ रहे ढाँचागत बदलावों को समझते हुये उसके अनुरूप स्वयं को ढालना चाहिये। ओला और ऊबर के आने तथा राजमागोर्ं की सड़कें अच्छी बन जाने से वाहनों की उपयोगिता बढ़ गयी है। एक व्यक्तिगत कार की उपयोगिता उसकी क्षमता का मात्र पाँच प्रतिशत होती है जबकि कैब तथा टैक्सी में इस्तेमाल होने वाली कारों की उपयोगिता उसकी क्षमता का 40 से 45 प्रतिशत तक हो पाता है।

उन्होंने कहा कि यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है, लेकिन अल्पावधि में इससे वाहनों की बिक्री में कमी आना लाजमी है। उन्होंने भी नियार्त बढ़ाने की सलाह दी।

कलपुर्जा निमार्ता कंपनियों के संगठन एकमा के अध्यक्ष राम वेंकटरमानी ने कहा कि सरकार को घरेलू कलपुजार् उद्योग को बढ़ावा देने के उपाय करने चाहिये। पिछले वित्त वर्ष में घरेलू कलपुजार् निमार्ताओं का कारोबार 57 अरब डॉलर का रहा, जबकि 70 अरब डॉलर के कलपुर्जे विदेशों से आयात किये गये।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख