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नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने नोटबंदी की लागत के बारे में सरकार को सावधान किया था तथा कहा था कि नोटबंदी के मुख्य लक्ष्यों को पाने के अन्य बेहतर विकल्प भी हैं। राजन ने अपनी पुस्तक 'आय डू ह्वाट आय डू: ऑन रिफार्म्स रिटोरिक एंड रिजॉल्व' में यह खुलासा किया है। इसके अनुसार 2013 से 2016 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे राजन ने सरकार से साफ तौर पर बता दिया था कि बिना पूरी तैयारी के नोटबंदी करने के परिणाम भारी पड़ेंगे। राजन की बात बहुत हद तक सही साबित हो रही है। हाल में आई रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक वृद्धि दर पिछले तीन साल के निचले स्तर पर है। राजन ने लिखा है, "मुझसे सरकार ने फरवरी 2016 में नोटबंदी पर दृष्टिकोण मांगा जो मैंने मौखिक दिया था। दीर्घकालिक स्तर पर इसके फायदे हो सकते हैं पर मैंने महसूस किया कि संभावित अल्पकालिक आर्थिक नुकसान दीर्घकालिक फायदों पर भारी पड़ सकते हैं। इसके मुख्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के संभवत: बेहतर विकल्प थे।" राजन ने बताया कि उन्होंने सरकार को एक नोट दिया था, जिसमें नोटबंदी के संभावित नुकसान और फायदे बताये गये थे तथा समान उद्देश्यों को प्राप्त करने के वैकल्पिक तरीके बताये गये थे।

उन्होंने आगे कहा, "यदि सरकार फिर भी नोटबंदी की दिशा में आगे बढ़ना चाहती है तो इस स्थिति में नोट में इसकी आवश्यक तैयारियों और इसमें लगने वाले समय का भी ब्योरा दिया था । रिजर्व बैंक ने आधी-अधूरी तैयारी की स्थिति में परिणामों के बारे में भी बताया था।" उन्होंने कहा कि सरकार ने इन मुद्दों पर विचार करने के लिए इसके बाद एक समिति गठित की थी। मुद्रा संबंधी मामलों को देखने वाले डिप्टी गवर्नर इसकी सभी बैठकों में शामिल हुए थे और मेरे कार्यकाल में कभी भी रिजर्व बैंक को नोटबंदी पर निर्णय लेने के लिए नहीं कहा गया था। राजन के नोटबंदी संबंधी ये खुलासे इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि रिजर्व बैंक ने पिछले ही महीने कहा कि 500 रुपये और 1000 रुपये के प्रचलन से बाहर किए गए 99 प्रतिशत नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए हैं।

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