नई दिल्ली: नेतृत्व के संकट से जूझ रही देश की दूसरी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी इन्फोसिस टेक्नोलॉजी की कमान गुरुवार को एक बार फिर सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि ने संभाल ली। कंपनी ने अपने निदेशक मंडल में भारी बदलाव करते हुए नंदन नीलेकणी को कंपनी का चेयरमैन नियुक्त करने की घोषणा की। आधार परियोजना को लेकर चर्चा में रहे नीलेकणी मार्च 2002 से अप्रैल 2007 तक कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे। उसके बाद वह केंद्र सरकार के भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के प्रमुख बनाए गए थे। पिछले सप्ताह इन्फोसिस के पहले गैर-संस्थापक सीईओ विशाल सिक्का ने कंपनी के संस्थापक-प्रवर्तकों के साथ संबंध बिगड़ने के चलते अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। हालांकि, नीलकेणी ने सिक्का को उनके तीन साल के कार्यकाल के लिए बधाई दी है। 2 जून 1955 को कर्नाटक के बेंगलुरु में जन्म हुआ। आईआईटी मुंबई से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री। वर्ष 1978 में पटनी कंप्यूटर से करियर की शुरुआत की। यहां उनका साक्षात्कार लेने वालों में नारायण मूर्ति भी थे। वर्ष 1981 में नीलकेणी और मूर्ति के अलावा पांच अन्य लोगों ने पटनी को छोड़कर इन्फोसिस की नींव रखी।
वर्ष 2002 में मूर्ति के बाद नीलकेणी ने सीईओ की कमान संभाली। 42 फीसदी राजस्व बढ़ा वर्ष 2002 से 2007 के बीच जब नीलकेणि कंपनी के सीईओ थे। 28 फीसदी इन्फोसिस के मार्जिन में वृद्धि हुई निलकेणि के कार्यकाल में शेयरधारकों का साथ कंपनी के 12 कोष प्रबंधकों ने एक संयुक्त पत्र में कहा था कि हालिया घटनाक्रम काफी चिंता का विषय है। इसमें उन्होंने कहा था कि प्रत्येक अंशधारक चाहे वह ग्राहक हो, शेयरधारक या कर्मचारी हो, उसका नीलेकणि में विश्वास है। कंपनी के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) वी. वालकृष्णन ने भी नीलकेणी को चेयरमैन के रूप में लाने की सलाह दी थी। आज आधार के जरिये सबसे सुरक्षित लेन-देन उनकी सलाह का ही नतीजा है। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व ने आधार की खामियों को देखते हुए इसे बंद करने की योजना बनाई थी। लेकिन उसके पूर्व चेयरमैन रहे नीलकेणी ने प्रधानमंत्री से मिलकर आधार की खूबियों को बताया और इसे वित्तीय लेन-लेन सहित सभी जरूरी काम से जोड़ने की सलाह दी। कंपनी के मौजूदा चेयरमैन आर. शेषसायी और को-चेयरमैन रवि वेंकटेशन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सीईओ पद से इस्तीफा देने वाले विशाल सिक्का, निदेशक मंडल के सदस्य जेफरी एस.लेहमन और जॉन एचमेंडी ने भी तत्काल प्रभाव से निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया है जिसे स्वीकार कर लिया गया है। नंदन नीलकेणी ने कहा कि इन्फोसिस में अपनी वापसी से खुश हूं और बोर्ड सद्स्यों के साथ मिलकर काम करुंगा। कंपनी के शेयरधारक और कर्मचारियों को कारोबार का नया मौका दूंगा।