नई दिल्ली: कॉल ड्रॉप को लेकर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सख्त रुख अपनाया है। ट्राई ने कॉल ड्रॉप पर अंकुश लगाने के लिए शुक्रवार को कुछ कड़े दिशानिर्देश जारी किए। इनके तहत यदि कोई ऑपरेटर तीन तिमाहियों तक कॉल ड्रॉप के लिए तय मानकों पर खरा नहीं उतरता है तो उस पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। ग्रेडेड प्रणाली: ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा कि हमने कॉल ड्रॉप के मामले में एक से पांच लाख रुपये तक के आर्थिक जुर्माने का प्रस्ताव किया है। यह ग्रेडेड प्रणाली है जो किसी नेटवर्क के प्रदर्शन पर निर्भर करेगी। ट्राई के कार्यवाहक सचिव एसके गुप्ता ने कहा कि यदि कोई ऑपरेटर लगातार तिमाहियों में कॉल ड्रॉप के मानकों को पूरा करने में नाकाम रहता है तो जुर्माना राशि 1.5 गुना बढ़ जाएगी और लगातार तीसरे महीने में यह दोगुनी हो जाएगी। हालांकि अधिकतम जुर्माना 10 लाख रुपये तक ही रहेगा। पहले जुर्माना राशि प्रति उल्लंघन 50 हजार रुपये थी। टॉवर के हिसाब से आकलन: संशोधन के बाद किसी एक सर्किल में कॉल ड्रॉप मापने की दर सर्किल स्तर से मोबाइल टॉवर तक अधिक ग्रैनुलर हो जाएगी। शर्मा ने कहा कि कॉल ड्रॉप को मापने को लेकर कई मुद्दे हैं। औसत से कई चीजें छिप जाती हैं।
नए नियमों के तहत हम किसी नेटवर्क के अस्थायी मुद्दे पर भी ध्यान देंगे और साथ ही नेटवर्क के भौगोलिक फैलाव को भी देखेंगे। 90 फीसदी टॉवर सही रखने होंगे : दूरसंचार कंपनियों को अपने 90 फीसदी टॉवर सही रखने होंगे। टॉवर के हिसाब से कॉल ड्रॉप मापी जाएगी। संशोधित नियमों के तहत किसी दूरसंचार सर्किल में 90 प्रतिशत मोबाइल साइटें 90 फीसदी समय तक 98 प्रतिशत तक कॉल्स को सुगम तरीके से संचालित करने में सक्षम होनी चाहिए। यानी कुल कॉल्स में से दो प्रतिशत से अधिक ड्रॉप की श्रेणी में नहीं आनी चाहिए। मानक तय किए: किसी खराब स्थिति या दिन के व्यस्त समय में एक दूरसंचार सर्किल के 90 प्रतिशत मोबाइल टॉवरों पर कॉल ड्रॉप की दर तीन प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। ट्राई ने रेडियो लिंक टाइम आउट प्रौद्योगिकी (आरएलटी) के लिए भी मानक तय किए हैं। कथित रूप से इसका इस्तेमाल दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा कॉल ड्रॉप को छुपाने के लिए किया जाता है। मुनस्यारी में उपभोक्ताओं ने फूंका बीएसएनएल व आइडिया का पुतला जब आप किसी को कॉल करते है या कोई आपको कॉल करता है तो दोनों लोगों के बात करते हुए बीच में अचानक नेटवर्क में दिक्कत की वजह से फोन कट जाता है और आप फिर दोबारा कॉल करते है तब जाकर आपकी बात पूरी हो पाती है या कभी-कभी यह एक से अधिक बार ऐसा हो सकता है| ऐसे में आप दोनों के फोन काटे बिना ही अपने आप नेटवर्क में दिक्कत की वजह से अगर फोन कट जाता है तो उसे कॉल ड्रॉप कहा जाता है | ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कंपनियां केवल उन्हीं इलाकों में अपने नेटवर्क को लेकर सतर्क रहती है जिन इलाकों से उसे अधिक आय होती है। ऐसे में कई बार ऐसे होता है कि किसी इलाके विशेष में जब टॉवर से जुड़े रहने वाले मोबाइल कनेक्शन की संख्या उसके बैंडविड्थ से अधिक हो जाती है तो मोबाइल द्वारा की जाने वाली कॉल्स बार-बार नेटवर्क में कंजेशन की वजह से कट हो जाते है क्योंकि किसी भी मोबाइल टॉवर पर जुड़े रहने के मोबाइल की संख्या सीमित होती है।