नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज (गुरूवार) लोकसभा में कहा कि सरकार जीएसटी कानून के लागू होने के बाद इसकी खामियों में सुधार के प्रयास जारी रखेगी और सर्वोत्तम स्तर तक पहुंचने तक सुधार का यह सिलसिला बना रहेगा। जेटली ने साथ ही लोकसभा में कुछ सदस्यों की इन चिंताओं को निराधार बताया कि राज्य सरकारों को करों के संबंध में केंद्र सरकार के अधिकार जीएसटी के तहत स्थानांतरित किए जाने से उनका दुरूपयोग होगा और जनता पर मनमाने तरीके से कर लगाए जाएंगे । उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें भी जनता के प्रति जवाबदेह हैं। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने पंजाब नगर निगम विधि (चंडीगढ़ कर विस्तार) संशोधन विधेयक 2017 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही। यह विधेयक अध्यादेश के स्थान पर लाया गया। जेटली ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद पता चला कि इसके कुछ प्रावधानों से सिगरेट कंपनियों को भारी मुनाफा होगा तो तुरंत वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की गई और इस गलती को सुधारा गया। जेटली के जवाब से पूर्व आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने अध्यादेश का निरनुमोदन करने के लिए एक सांविधिक संकल्प पेश किया और मंत्री के जवाब के बाद अपने संकल्प को वापस ले लिया।
उन्होंने हालांकि लोकतंत्र के स्तंभ पंचायतों और नगर निगमों को मजबूती प्रदान करने की पुरजोर वकालत की। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में जीसएटी कानून को समय से लागू करने के लिए अध्यादेश लाया गया था। यह विधेयक चंडीगढ़ में मनोरंजन पर कर लगाने के केंद्र सरकार के अधिकार को इसके नगर निगम को स्थानांतरित करता है। इससे पूर्व , विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के संतोष सिंह चौधरी ने कहा कि सरकार ने बहुत जल्दबाजी में जीएसटी को लागू किया जिससे देश में अराजकता का माहौल पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के कारण उनके संसदीय क्षेत्र जालंधर का खेल उद्योग प्रभावित हो रहा है। उन्होंने विधेयक के संबंध में कहा कि चंडीगढ़ शहर गिरावट के दौर में जा रहा है और वहां भवन निर्माण संबंधी नियमों में सुधार की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपे जाने की भी मांग की। हालांकि भाजपा सदस्य और चंडीगढ़ से भाजपा सदस्य किरण खेर ने उनके दावों को गलत बताया और साथ ही कहा कि चंडीगढ़ अपने केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे से ही खुश है। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने विधेयक का स्वागत करते हुए कहा कि इससे चंडीगढ़ नगर निगम को 17 करोड़ रूपये की आमदनी होगी। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया।