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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने घरेलू परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को गति देते हुए बुधवार को 10 स्वदेशी दाबानुकूलित भारी जल रिएक्टरों के निर्माण को मंजूरी दी। प्रत्येक रिक्टर की क्षमता 700 मेगावाट होगी और कुल क्षमता मौजूदा परमाणु ऊर्जा क्षमता से अधिक होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की अध्यक्ष में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इससे स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन करने में मदद मिलेगी। सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, इस परियोजना के लिए घरेलू उद्योग के स्तर पर करीब 70 हजार करोड़ रुपये का विनिर्माण ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। साथ ही परियोजना से भारत के परमाणु उद्योग को उच्च प्रौद्योगिकी के साथ स्वदेशी औद्योगिक क्षमता के विकास के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 में सत्ता में आए थे तब देश में परमाणु ऊर्जा उत्पादन 4,780 मेगावाट था, जिसे हमनें दस साल में तीन गुना करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा, उम्मीद है कि हम इस लक्ष्य को हासिल कर लेंगे। सिंह ने कहा कि देश और विदेशी स्रोतों से यूरेनियम की पर्याप्त उपलब्धता है। सरकार बिहार और मेघालय सहित अन्य स्रोतों से भी यूरेनियम की प्राप्ति करने का प्रयास कर रही है।

सरकार के मुताबिक परियोजना की वजह से कम से कम 33,400 लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में रोजगार मिलेगा। इसके अलावा घरेलू ऑर्डर मिलने से अन्य क्षेत्रों में भी तेजी आएगी। सरकार ने दस रिएक्टरों के निर्माण की मंजूरी देकर पांच लक्ष्यों को एक साथ साधा है। इन रिएक्टरों से सरकार स्वच्छ ऊर्जा के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करेगी, भारतीय तकनीक को नई ऊंचाई देगी, मेक इन इंडिया पहल को मजबूती देगी।

स्वच्छ ऊर्जा: भारत ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पेरिस करार पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में शामिल है। इसके तहत वह 30 से 33 फीसदी तक कार्बन उत्सर्जन में कटौती करेगा। इस लक्ष्य को हासिल करने परमाणु ऊर्जा मददगार है।

भारतीय तकनीक: यह परियोजना एक महत्वपूर्ण परमाणु विनिर्माण देश के रूप में भारत की विश्वसनीयता और मजबूत बनाने की दिशा में अहम कदम होगी। दाबानुकूलित भारी जल रिएक्टर के निर्माण के क्षेत्र में भारत का रिकॉर्ड पिछले करीब 40 वर्षों से विश्व स्तर पर स्वीकार्य है।

मेक इन इंडिया: सरकार की इस मंजूरी से मेक इन इंडिया अभियान को बल मिलेगा क्योंकि रिएक्टरों का निर्माण भारतीय तकनीक पर घरेलू स्तर पर होगा। स्वयं सरकार मानती हैं कि इससे 70 हजार करोड़ के ऑर्डर प्राप्त होंगे।

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