वॉशिंगटन: भारत में काम कर चुके एक जाने माने विदेशी पत्रकार ने कहा है कि नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था या देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की लड़ाई में मदद मिलने की उम्मीद नहीं है, लेकिन यह कदम दिखाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘कड़े व निर्णायक’ कदम उठाने को तैयार हैं। पत्रकार एडम रॉबर्ट्स ने बुधवार (3 मई) को यहां एक कार्य्रकम में यह बात कही। रॉबर्ट्स इकनोमिस्ट के दक्षिण पूर्व एशिया संवाददाता के रूप में छह साल भारत में रह चुके हैं। उन्होंने आधुानिक भारत पर एक किताब लिखी है। इस किताब के विमोचन कार्य्रकम में रॉबर्ट्स ने कहा,‘मुझे नहीं लगता कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी। लेकिन इस (नोटबंदी) ने दिखा दिया कि मोदी साहसी हैं और वे साहसी फैसले कर सकते हैं।’ एक सवाल के जवाब में रॉबर्ट्स ने इस सोच को चुनौती दी कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। उधर,संयुक्त राष्ट्र की एक रपट के अनुसार भारत की आर्थिक वृद्धि दर इस साल 7.1 प्रतिशत तथा अगले वर्ष यानी 2018 में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक आयोग (इस्केप) की सोमवार (1 मई) को जारी ‘एशिया प्रशांत क्षेत्र का आर्थिक व सामाजिक सर्वे 2017’ में यह अनुमान लगाया गया है।
रपट के अनुसार 2018 में बढ़कर 7.5 प्रतिशत होने से पहले इस साल 2017 में भारत की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रपट के अनुसार उच्च निजी व सार्वजनिक खपत तथा बुनियादी ढांचे पर खर्च में बढोतरी से आर्थिक वृद्धि दर को बल मिलेग।. रपट में कहा गया है, ‘पुनमरुद्रीकरण से उपभोग तथा बुनियादी ढांचा खर्च बढेगा जिससे इस साल वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’ इसके अनुसार 2017 और 2018 में मुद्रास्फीति 5.3-5.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है जो कि 4.5-5 प्रतिशत के आधिकारिक आंकड़े से कुछ ऊपर है। हालांकि रपट में सार्वजनिक बैंकों के बढ़ते खराब ऋणों के कारण वित्तीय क्षेत्र से जुड़े जोखिमों के प्रति आगाह किया गया है। इसके अनुसार सार्वजनिक बैंकों की सकल गैर निष्पादित आस्तियां 2016 में बढ़कर लगभग 12 प्रतिशत हो गईं। रपट में बंकों में और पूंजी डालने की जरूरत को रेखांकित किया गया है। रपट में कहा गया है कि नोटबंदी के कारण 2016 के आखिर तथा 2017 के शुरू में आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा। नकदी की कमी के कारण वेतन भुगतान में देरी हुई जबकि औद्योगिक क्षेत्र में कच्चा माल खरीद में भी देरी हुई।