नई दिल्ली: देश में दस रूपये के विभिन्न प्रकार के सिक्कों पर जनता के बीच भ्रम की स्थिति को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि कोई भी सिक्का अमान्य नहीं है और सभी सिक्के चलन में हैं। ये समय समय पर जारी किये गये अलग अलग डिजाइनों के सिक्के हैं। बैंक का कहना है कि शेरावाली की फोटो वाला सिक्का, संसद की तस्वीर वाला सिक्का, बीच में संख्या में ‘10’ लिखा हुआ सिक्का, होमी भाभा की तस्वीर वाला सिक्का, महात्मा गांधी की तस्वीर वाला सिक्का सहित अन्य सभी सिक्के मान्य हैं। केन्द्रीय बैंक के अनुसार इन सिक्कों को विभिन्न विशेष मौकों पर जारी किया गया है। उल्लेखनीय है कि दस रूपये के सिक्कों के लेनदेन को लेकर लोगों के बीच अक्सर विवाद खड़ा हो जाता है। ज्यादातर लोगों का कहना है कि दस पत्ती वाला वही सिक्का मान्य है जिसमें 10 का अंक नीचे की तरफ लिखा है और दूसरी तरफ शेर का अशोक स्तंभ अंकित है। केन्द्रीय बैंक के एक अधिकारी ने इस संबंध में ‘भाषा’ से बातचीत में स्पष्ट किया गया कि दस रूपये के सभी सिक्के वैध हैं। कॉरपोरेट मामलों के वकील शुजा ज़मीर ने कहा, ‘‘भारत की वैध मुद्रा को लेने से इनकार करने पर राजद्रोह का मामला बनता है और जो ऐसा करता है उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 :1: के तहत मामला दर्ज हो सकता है क्योंकि मुद्रा पर भारत सरकार वचन देती है। इसको लेने से इनकार करना राजद्रोह है।’’
राष्ट्रीय राजधानी सहित देश के कई हिस्सों में दस रूपये के सिक्को को लेकर भ्रम की स्थिति है और कई दुकानदार और लोग इन सिक्कों को लेने से कतरा रहे हैं। सबसे ज्यादा विवाद उस सिक्के पर है जिसके बीच में ‘10’ लिखा है और इसे नकली कहा जा रहा है। लेकिन आरबीआई की ओर से ‘भाषा’ को भेजे एक ईमेल में जानकारी दी गयी है कि यह सिक्का 26 मार्च 2009 को जारी किया गया था। आरबीआई ने कहा है कि केंद्रीय बैंक ने वक्त वक्त पर आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक थीम पर सिक्के जारी किए हैं और सिक्कों में 2011 में रूपये का चिन्ह शामिल करने के बाद बदलाव आया। सिक्के लंबे समय तक सही रहते हैं इसलिए यह मुमकिन है कि बाजार में अलग अलग डिजाइन और छवि के सिक्के हों, जिनमें बिना ‘रूपये’ के चिन्ह वाले सिक्के भी शामिल हैं। हालांकि आरबीआई ने किसी का भी लीगल टेंडर वापस नहीं लिया है और सारे सिक्के वैध हैं।