नई दिल्ली: कालेधन पर अंकुश लगाने के लिए सरकार एक और कड़ा कदम उठाने जा रही है। एक अप्रैल से दो लाख रुपये से अधिक के गहने नकद खरीदने पर एक प्रतिशत टीसीएस (स्रोत पर कर) चुकाना पड़ेगा। इसकी मौजूदा सीमा 5 लाख रुपये है। वित्त विधेयक 2017 प्रस्तावित संशोधन पारित हो जाने पर गहनों को सामान्य वस्तुओं की तरह माना जाएगा। इसके मुताबिक दो लाख रुपये से ज्यादा की नकद खरीदारी पर एक फीसदी टीसीएस देना होगा। वहीं, 5 लाख से अधिक के गहनों की खरीद सीमा समाप्त करने के लिए संसद की मंजूरी मिल चुकी है। इसकी वजह यह है कि 2017-18 के बजट में तीन लाख रुपये से अधिक के नकद सौदों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसका उल्लंघन करने वाले व्यक्ति पर 100 फीसदी जुर्माना लगाने का प्रावधान है। चूंकि आभूषणों की खरीद के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है ऐसे में अब इसे सामान्य उत्पादों के साथ मिला दिया गया है। इन वस्तुओं पर एक बार में दो लाख रुपये से अधिक की खरीद पर एक प्रतिशत का टीसीएस लगता है। बड़े लेनदेन के जरिये कालेधन के सजन को रोकने के लिए बजट प्रस्ताव के बाद 5 लाख रुपये की सीमा को समाप्त करने को संसद की मंजूरी मिल गई है। एक अधिकारी ने कहा कि आयकर कानून में दो लाख रुपये से अधिक की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पर एक प्रतिशत का टीसीएस लगाने का प्रावधान है।
वस्तुओं की परिभाषा में आभूषण भी आते हैं ऐसे में दो लाख रुपये से अधिक की नकद आभूषण खरीद पर एक प्रतिशत का टीसीएस लगेगा। इस कदम से आभूषणों पर टीसीएस की सीमा एक अप्रैल से सर्राफा के समान हो जाएगी। आयकर विभाग 1 जुलाई, 2012 से सर्राफा या बुलियन की दो लाख रुपये से अधिक और आभूषणों की पांच लाख रुपये से अधिक की खरीद पर एक प्रतिशत का टीसीएस लगा रहा है। हालांकि, बजट 2016-17 में वस्तुओं और सेवाओं की दो लाख रुपये से अधिक की खरीद पर एक प्रतिशत टीसीएस लगाया गया था। वित्त विधेयक, 2017 कहता है, मौजूदा प्रावधान आभूषणों की पांच लाख रुपये से अधिक की नकद बिक्री पर एक प्रतिशत स्रोत पर कर काटने का है। नकद लेनदेन पर अंकुश के मद्देनजर इसे समाप्त करने का प्रस्ताव है। वित्त विधेयक 2017 में प्रस्तावित संशोधन के बाद पांच लाख रुपये से अधिक की नकद आभूषण खरीद टीसीएस के दायरे से बाहर हो जाएगी और इसे अब अन्य वस्तुओं के रूप में वगीकृत किया जाएगा और दो लाख रुपये से अधिक की खरीद पर एक प्रतिशत का टीसीएस काटा जाएगा।