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नई दिल्ली: आर्थिक तंत्र में नए नोट डालने की प्रक्रिया पूरी होने पर अर्थव्यवस्था के तीव्र वृद्धि के रास्ते पर लौट जाने के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने मंगलवार को कहा कि यह काम एक-दो महीने में पूरा हो जायेगा और उसके बाद आर्थिक वृद्धि गति पकड़ने लगेगी। सुब्रमणियम ने कहा कि भारत में हुई नोटबंदी ‘मौद्रिक इतिहास में अपने आप में एक अनूठा प्रयोग रहा है और इसके ऊपर पांच साल बाद 50 से 100 पीएचडी के बराबर लेख लिखे जा सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि आम धारणा के विपरीत नकदी की तंगी नवंबर माह में दिसंबर के मुकाबले कम गंभीर रही। उल्लेखनीय है कि सरकार ने आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि असंगठित क्षेत्र पर नोटबंदी का अल्पकालिक असर पड़ा है लेकिन इसके दीर्घकालिक लाभ की संभावनायें काफी ऊंची हैं। अरविंद सुब्रमणियम बजटपूर्व आर्थिक समीक्षा संसद में पेश किये जाने के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि 500, 1,000 रुपये के पुराने नोटों को अमान्य करने से वित्तीय बचत बढ़ेगी और इससे भ्रष्टाचार कम होने की संभावना है। भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में कम होकर 6.5 प्रतिशत रह जाने का अनुमान लगाया गया है। नोटबंदी की वजह से आर्थिक गतिविधियों पर पड़े असर की वजह से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.5 प्रतिशत अंक का नुकसान होने का अनुमान है।

सुब्रमणियम ने नये नोट डालने की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जितनी जल्दी नकदी निकालने पर लगी सीमा हटाई जा जायेगी उतना ही अर्थव्यवस्था के लिये बेहतर होगा। ‘जैसे ही नये नोट लाने की प्रक्रिया पूरी होगी अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौटेगी।’ सुब्रमणियम ने डिजिटल भुगतान प्रणाली की तरफ बढ़ने के प्रयासों को जारी रखने पर जोर दिया है, हालांकि उन्होंने सतर्क करते हुये कहा, ‘लेकिन मेरा मानना है कि ऐसा करते समय सावधानी बरतनी होगी।’ उन्होंने कहा, ‘यह बदलाव धीरे-धीरे होना चाहिये। यह समावेशी होना चाहिये क्योंकि कई लोग ऐसे हैं जो डिजिटल तरीके से नहीं जुड़े हैं। मेरे विचार से यह काम नियंत्रण के बजाय प्रोत्साहन देने के साथ होना चाहिये।’ सुब्रमणियम ने कहा कि हर स्तर पर इस मामले में यानी नकदी और डिजिटलीकरण के बीच लागत और लाभ को देखते हुये संतुलन बिठाने की जरूरत है। ‘मेरा मानना है कि हमें यह याद रखना चाहिये कि डिजिटलीकरण के कई फायदे हैं लेकिन इसपर लागत भी आती है क्योंकि गरीबों की इस तक पहुंच नहीं है। इसी प्रकार नकदी के मामले में कईयों के लिये यह दुरुपयोग का भी साधन हो सकती है लेकिन इसमें कई सुविधायें भी हैं।’ आर्थिक वृद्धि के बारे में सुब्रमणियम ने कहा दो बातें हैं जिनसे अगले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि बढ़ सकती है, पहली -बंद किये गये नोटों के स्थान पर नये नोट जल्द से जल्द डाले जायें, इससे खपत बढ़ेगी और दूसरा निर्यात में सुधार लाया जाये। उन्होंने नोटबंदी के बारे में कहा कि इसका एक मकसद रीयल एस्टेट क्षेत्र के ऊंचे दाम को कम करना भी है। आर्थिक समीक्षा में भी कहा गया है कि नोटबंदी के बाद नकदी की तंगी के चलते संपत्तियों के दाम गिरे हैं। इनमें आगे और गिरावट की संभावना है क्योंकि अघोषित आय को रीयल एस्टेट क्षेत्र में लगाना अब मुश्किल काम होगा। ऐसा समझा जाता है कि पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की इस टिप्पणी के संदर्भ में कि सीईए सहित कुछ महत्वपूर्ण लोगों ने नोटबंदी पर कोई बातचीत नहीं की है, सुबमणियम ने कहा, ‘आखिरकार सीईए ने इस मुद्दे पर बोल दिया है।’ सीईए ने मीडिया को भी सलाह दी कि उसे जीडीपी अनुमान के आंकड़ों को गलत ढंग से परिभाषित करने अथवा शरारतपूर्ण तरीके से पेश करने से बचना चाहिये। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के मामले में जीडीपी वृद्धि का इससे पहले की अवधि में और बाद के समय में अलग-अलग विश्लेषण करना उचित नहीं। हालांकि, उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान नोटबंदी के बिना और नोटबंदी के साथ उसके प्रभाव का आकलन सही है।

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