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नई दिल्ली: नोटबंदी और कमजोर मांग के बीच खाद्य पदार्थों-विशेषकर सब्जियों और दालों के दाम घटने से गत दिसंबर में खुदरा मूल्य आधारित मुद्रास्फीति की दर घटकर 3.41 प्रतिशत पर आ गई जो तीन साल का निचला स्तर है। पुराने 500, 1000 के नोटों को 8 नवंबर को बंद किए जाने के बाद से बाजार को नकदी की कमी से जूझना पड़ रहा है जिसका मांग पर असर बताया जा रहा है। आलोच्य माह में खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट की मुख्य वजह सब्जियों और दालों की कीमतों में गिरावट है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2014 के बाद यह खुदरा मंहगाई दर का न्यूनतम स्तर है। नवंबर, 2016 में यह 3.63 प्रतिशत और दिसंबर, 2015 में 5.61 प्रतिशत थी। सब्जियों की मुद्रास्फीति और नीचे आ गई है। दिसंबर में यह शून्य से 14.59 प्रतिशत नीचे रही। इससे पहले नवंबर में यह शून्य से 10.29 प्रतिशत नीचे थी। इसी तरह दलहन एवं उत्पादों की मुद्रास्फीति दिसंबर में शून्य से 1.57 प्रतिशत नीचे रही। हालांकि, फलों की मुद्रास्फीति दिसंबर में मामूली बढ़त के साथ 4.74 प्रतिशत रही, जो नवंबर में 4.60 प्रतिशत थी। मोटे अनाज और उसके उत्पादों की मुद्रास्फीति बढ़कर 5.25 प्रतिशत हो गई, जो नवंबर में 4.86 प्रतिशत थी। प्रोटीन वाले उत्पाद मसलन मांस और अंडे की मुद्रास्फीति दिसंबर में 4.79 प्रतिशत रही, जो नवंबर में 5.83 प्रतिशत थी।

अंडों के दाम माह के दौरान 6.41 प्रतिशत बढ़े, जबकि इससे पिछले महीने ये 8.55 प्रतिशत बढ़े थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 8 नवंबर को 500 और 1,000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। इससे करीब 86 प्रतिशत मुद्रा चलन से बाहर हो गई थी। इस वजह से उपभोक्ता मांग में गिरावट आई। कुल मिलाकर दिसंबर में उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक घटकर 1.37 प्रतिशत रह गया, जो नवंबर में 2.11 प्रतिशत था। ईंधन और लाइट खंड में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 3.77 प्रतिशत रही, जो एक महीने पहले 2.80 प्रतिशत थी। दिसंबर में ग्रामीण मुद्रास्फीति 3.83 प्रतिशत रही, जो नवंबर में 4.13 प्रतिशत थी। इसी तरह शहरी क्षेत्र के लिए मुद्रास्फीति घटकर 2.90 प्रतिशत पर आ गई, जो इससे पिछले महीने 3.05 प्रतिशत थी।

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