बैंकॉक: दुनिया में सबसे लंबे समय तक राजशाही की कुर्सी पर विराजमान रहने वाले थाईलैंड के नरेश भूमिबोल अदुल्यदेज का लंबी बीमारी के बाद आज निधन हो गया और इसके साथ ही यहां राजशाही के सात दशक के सुनहरे दौर का अंत हो गया। अदुल्यदेज विभाजित थाईलैंड को एक सूत्र में बांधने के लिए विख्यात रहे। वह 88 साल के थे।राजमहल ने एक बयान में कहा कि दिन में 3.52 बजे :स्थानीय समयानुसार: सिरिराज अस्पताल में नरेश का निधन हुआ। युवराज वज्रलोंगकर्ण, राजकुमारी महाचक्री श्रींदोर्ण, राजकुमारी सोमसावली और राजकुमारी चुलाबोर्ण अस्पताल में मौजूद थे।प्रधानमंत्री प्रत्युत चान-ओचा ने कहा कि 64 साल के युवराज देश के अगले नरेश होंगे। बीते रविवार को राजमहल ने कहा था कि हेमाडाइलेसिस के उपचार के बाद नरेश की हालत अस्थिर बनी हुई है।नरेश भूमिबोल के अस्वस्थ होने की खबर सुनने के बाद दो दिनों से उनके सैकड़ों शुभचिंतक अस्पताल के बाहर जमा थे और वे उनके स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे थे। राजशाही थाई समाज का मुख्य हिस्सा है और कई बार नरेश को वस्तुत: भगवान माना जाता है।प्रधानमंत्री प्रयुत चान ओचा ने कहा कि 63 साल के युवराज देश के अगले नरेश होंगे। प्रयुत ने कहा, ‘‘वह दिन आ गया जिसके बारे में थाई लोग कभी सोचने की हिम्मत भी नहीं कर पाये थे।
यह हमारे देश की सबसे बड़ी क्षति है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि थाईलैंड में एक साल का शोक होगा और समाज के सभी वर्ग एक महीने के लिए मनोरजंन संबंधी गतिविधियां नहीं करें। राष्ट्रीय ध्वज को 30 दिनों के लिए आधा झुका दिया जाएगा और सरकारी अधिकारी एक साल तक काले कपड़े पहनेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अब वह स्वर्ग में हैं और वहीं से थाई नागरिकों को देख रहे हैं।’’ रामा-9 के नाम से पुकारे जाने वाले नरेश चक्री वंश के नौंवे राजा थे। 70 साल पहले राजशाही सत्ता पर आसीन होने वाले भूमिबोल थाईलैंड में स्थिरता और एकता के स्रोत रहे थे। दुनिया में सबसे लंबे समय तक राजशाही सिंहासन संभालने वाले भूमिबोल 1946 में उस वक्त इस पद पर आसीन हुए थे जब उनके भाई का निधन हुआ था। अपने सात दशक के शाही कार्यकाल के दौरान नरेश भूमिबोल देश को एक सूत्र में जोड़ने वाली ताकत रहे और कई बार देश को संकट में ले जाने वाले घटनाक्रमों में दखल दिया और स्थिति संभाली। हाल के महीनों में नरेश भूमिबोल की सेहत को लेकर बढ़ रही चिंताओं को देखते हुए ‘रॉयल हाउसहोल्ड ब्यूरो’ लगातार बुलेटिन जारी कर रहा था। प्रधानमंत्री प्रत्युत रविवार को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ‘बिम्सटेक आउटरीच’ में शामिल होने के लिए जाने वाले थे। सूत्रों ने कहा कि अब प्रधानमंत्री ने इस शिखर सम्मेलन में शामिल होने का जिम्मा उप प्रधानमंत्री सोमकिड जतुश्रीथक को सौंपा है। राजमहल ने कल देर रात एक बयान में कहा कि नरेश का रक्तचाप कम हो गया है और सांस तेज हो गई है। बीते रविवार को हुई जांच में इसका संकेत मिला था कि उनको संक्रमण है और उनका यकृत असामान्य ढंग से काम कर रहा है।