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बीजिंग: चीनी सरकारी मीडिया ने आज कहा है कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग के आगामी ढाका दौरे के मद्देनजर चीन एवं बांग्लादेश के बीच होने वाले घनिष्ठ संबंधों के बारे में भारत को ‘जलने’ की जरूरत नहीं है। सरकारी मीडिया का मानना है कि यह बुरा नहीं होगा कि यदि ऐसे रिश्ते नई दिल्ली पर भारत-चीन संबंधों को सुधारने के लिए दबाव डालें। सरकारी ग्लोबल टाइम्स में एक लेख में कहा गया है, ‘शी के आगामी बांग्लादेश के दौरे में द्विपक्षीय संबंधों को नई उंचाई पर ले जाने की संभावना है और इसके परिणामस्वरूप इस दक्षिण एशियाई देश में स्थानीय बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए बड़ी मात्रा में निवेश आने के साथ-साथ रिण मुहैया होगा।’’ ‘इंडिया हैज नथिंग टू फियर फ्रोम क्लोजर रिलेशनशिप बिटवीन चाइना एंड बांग्लादेश’ शीषर्क से छपे लेख में कहा गया है, ‘‘भारत को बीजिंग एवं ढाका के बीच बढ़ते हुए घनिष्ठ संबंधों से जलने की जरूरत नहीं है, क्योंकि स्थानीय बुनियादी ढांचे में सुधार और बांग्लादेश में समग्र आर्थिक पारस्थितिकी भारत, चीन एवं दक्षिणपूर्वी एशिया में बाजारों को जोड़ने के लिए अनुकूल बाहरी माहौल बनाएंगे।’

हालांकि लेख में बताया गया है कि यह जरूर एक बुरी बात नहीं होगी यदि चीन एवं बांग्लादेश के बीच बढ़ते हुए घनिष्ठ संबंध भारत को इस क्षेत्र में अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए ‘नई दिल्ली पर कुछ दबाव डाले’ और इसे राष्ट्रपति शी एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच गोवा में होने वाले आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के साथ संबंध सुधारने हेतु और अधिक प्रयासों के लिए प्रेरित करे। शी इस सप्ताह के आखिर में ढाका के दौरे पर जाएंगे और उम्मीद जताई जा रही है कि इस दौरान वह बांग्लादेश में कुछ बड़े चीनी निवेशों की घोषणा कर सकते हैं। ढाका से मिली एक रिपोर्ट के अनुसार यह निवेश 40 अरब अमेरिकी डालर हो सकती है। लेख में कहा गया है, ‘भारत में गलतफहमी है कि यदि बांग्लादेश जैसे दक्षिण एशियाई देश भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाते है, तो चीन नाराजगी महसूस कर सकता है और चीन महसूस करता है कि उसे बांग्लादेश के साथ घनिष्ठ रिश्ते बनाने की जरूरत है।’

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