ताज़ा खबरें
संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना
संविधान की प्रस्तावना में भी संशोधन कर सकती है संसदः सुप्रीम कोर्ट

वाशिंगटन: पहली बार पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे के हल को अफगानिस्तान से जोड़ते हुए कहा है कि शांति के लिए दोनों विषयों का हल जरूरी है और उन्हें अलग अलग करके नहीं देखा जा सकता। कश्मीर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विशेष दूत सीनेटर मुशाहिद हुसैन सैयद ने यहां कहा कि जब आप शांति की बात करते हैं तब काबुल में शांति का रास्ता कश्मीर से होकर जाता है। आप शांति को एक दूसरे से अलग नहीं कर सकते। काबुल में शांति हो और कश्मीर जलता रहे, ऐसा नहीं होने जा रहा। उन्होंने वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक स्टिमसन सेण्टर में चर्चा के दौरान कहा कि आप (अमेरिका) एक व्यापक शांति समझौते की बात करते हैं, इसलिए दक्षिण एशिया के लोगों को अतीत की शत्रुता का बंधक नहीं बनने दें। उन्हें आगे बढ़ने दीजिए। सैयद पाकिस्तान सीनेट की रक्षा और रक्षा उत्पाद समिति के अध्यक्ष भी हैं। उनके साथ शेजरा मनसब भी थी जो पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली की सदस्य भी हैं। मनसब ने कहा, ‘इस बार हमारा मुख्य मुद्दा कश्मीर है और यदि मुद्दा नहीं सुलझाया जाता है तो क्षेत्र में कोई शांति स्थापित नहीं हो सकती। यह कोई आंतरिक समस्या नहीं है।

अब काफी कुछ दांव पर है, हम पड़ौसी राष्ट्र हैं जो परमाणु सम्पन्न हैं इसलिए हमें कश्मीर मुद्दे पर शांति की जरूरत है और इसके बाद बाकी चीजों का हल किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने बगैर किसी शर्त के शांति वार्ता की पेशकश की है लेकिन भारत इसे लगातार ठुकराता रहा है। जब दोनों दूतों ने वाशिंगटन डीसी की अपनी यात्रा के दौरान फीकी प्रतिक्रिया का हवाला दिया, तो स्टीमसन सेंटर के माइकल क्रेपन ने पूछा कि अमेरिका को इसमें क्यों हस्तक्षेप करना चाहिए। क्रेपन ने कहा कि सीरिया सहित दुनिया के कई संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों की तुलना में कश्मीर की हालत काफी बेहतर है। दोनों पाकिस्तानी दूतों ने इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। सैयद ने कहा, ‘हम अमेरिका से हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हैं क्योंकि वह अपने प्रभाव से भारत को बातचीत शुरू करने , कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों को खत्म करने और यह सुनिश्चित करने के लिये राजी कर सकता है कि संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव लागू हो। उन्होंने कहा कि हम लंदन, ब्रसेल्स या वाशिंगटन में किए गए गलत फैसलों के परिणाम झेल रहे हैं। एक सवाल के जवाब में सैयद ने कहा कि विश्वास बहाली उपाय के लिए भारत जो कुछ कहेगा उसे करने को पाकिस्तान इच्छुक हैं ताकि वार्ता शुरू की जा सके। हालांकि उन्होंने हाफिज सईद सहित आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की भारत की मांग पर कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया। सैयद ने दलील दी कि भारत ने मुंबई हमलों के सरगना के खिलाफ ठोस कार्रवाई के लिए पर्याप्त सबूत मुहैया नहीं किए हैं। उन्होंने कहा कि क्या भारत अब पाकिस्तान के अलगाववादियों की मेजबानी करने की योजना बना रहा जो लोगों की हत्या में शामिल रहे हैं। और भारत प्रधानमंत्री के स्तर पर बलूचिस्तान प्रांत का जिक्र कर रहा है। क्या होगा जब प्रधानमंत्री नवाज शरीफ खालिस्तान, नगालैंड, त्रिपुरा, असम, सिक्किम या माओवादी उग्रवाद की बात करेंगे। हम ऐसा करना नहीं चाहते क्योंकि यह एक पड़ोसी देश के अंदर दखल होगी। आप नियम बदल रहे हैं जो जैसे को तैसा वाली चीज हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘हम कहना चाहेंगे कि हमें मसूद अजहर के बारे में अपने पास मौजूद सारे सबूत दीजिए।’

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख