इस्लामाबाद: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ चुके पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए ताकतवर सेना को चेतावनी देते हुए उससे प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों को पनाह नहीं देने के लिए कहा है और अधिकारियों को पठानकोट आतंकी हमले की जांच एवं 2008 के मुंबई आतंकी हमलों की सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है। डॉन समाचार पत्र के अनुसार, सेना और राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच कई दौर की बैठकों के बाद शरीफ का यह आदेश आया है। सरकार ने सैन्य नेतृत्व को ‘स्पष्ट, सुनियोजित और अभूतपूर्व’ चेतावनी दी है और प्रतिबंधित आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई समेत कई प्रमुख मुद्दों पर आम सहमति बनाने की मांग की है। अखबार ने बैठकों में शामिल लोगों के हवाले से यह बात कही है। बहरहाल उनके नामों को गुप्त रखा गया है। हालिया बैठकों में दो तरह की कार्रवाई पर सहमति बनी, जिसमें से एक को सार्वजनिक नहीं किया गया। यह फैसला सोमवार को आयोजित सर्वदलीय सम्मेलन के दौरान लिया गया था। आईएसआई महानिदेशक रिजवान अख्तर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासिर जंजुआ इस संदेश के साथ सभी प्रांतों का दौरा करेंगे कि प्रतिबंधित आतंकी समूहों के खिलाफ कानून प्रवर्तन एजेंसियों की कार्रवाई की स्थिति में सेना की अगुवाई वाली खुफिया एजेंसियों हस्तक्षेप नहीं करे। शरीफ ने पठानकोट मामले की जांच पूरी करने और रावलपिंडी की आतंकवाद निरोधी अदालत में मुंबई हमलों पर स्थगित सुनवाई फिर से शुरू करने के लिए नए सिरे से प्रयास करने के लिए कहा है।
डॉन के मुताबिक, पंजाब के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ और आईएसआई महानिदेशक के बीच तीखी जुबानी जंग के बाद लिए गये निर्णय पीएमएल-एन सरकार के नए दृष्टिकोण को दिखला रहा हैं। इससे इतर सोमवार को विदेश सचिव एजाज चौधरी ने प्रधानमंत्री कार्यालय में नौकरशाहों और सैन्य अधिकारियों के एक छोटे समूह के समक्ष एक विशेष प्रजेंटेशन दिया। समाचार पत्र के मुताबिक विदेश सचिव के प्रजेंटेशन में पाकिस्तान के हालिया कूटनीतिक कदमों समेत विभिन्न पहलू शामिल थे.। दरअसल पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ता दिख रहा है, जिसके बाद शरीफ का यह कदम देश की छवि सुधारने में उठाया गया प्रतीत होता है। वहीं इससे पहले आतंकवाद को लेकर अमेरिका से मिली दो टूक नसीहत पर पाकिस्तानी कूटनयिकों ने कहा था कि अमेरिका 'अब वैश्विक शक्ति नहीं है' और अगर कश्मीर व भारत के संबंध में उनके देश के विचारों को तवज्जो नहीं दी जाती है तो वह चीन और रूस का रुख करेगा।