मॉस्को/कीव: रूस के यूक्रेन में जारी आक्रमण के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने बुधवार को घोषणा की है कि वह यूक्रेन में अपनी कुछ और सेना भेजने तैयारी कर रहे हैं। रूसी सेना इन दिनों यूक्रेन के पलटवार का सामना कर रही है। यूक्रेन ने दावा किया था कि पिछले दिनों उसने रूस से एक बड़े भूभाग को वापस छीन लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टीवी पर दिए एक भाषण में पुतिन ने कहा कि वह अपने 2 मिलियन के मजबूत सैन्य रिजर्व को यूक्रेन में भेजकर रूस और उसकी सीमाओं की सुरक्षा करना चाहते हैं। उन्होंने दावा किया कि पश्चिमी देश रूस को बर्बाद करना चाहते हैं और यूक्रेन में शांति नहीं चाहते।
पुतिन ने कहा, "अपनी मातृभूमि, इसकी संप्रभुता की रक्षा के लिए, मैं समझता हूं कि यह ज़रूरी है कि जनरल स्टाफ के कुछ और सेना भेजने के फैसले का समर्थन किया जाए।"
पुतिन ने एक बार फिर कहा कि उनका लक्ष्य पूर्वी यूक्रेन के डोनबास औद्योगिक क्षेत्र को "मुक्त" कराना है क्योंकि उस क्षेत्र के अधिकतर लोग यूक्रेन वापस नहीं लौटना चाहते।
"रूस के पास बहुत से हथियार"
पुतिन ने कहा कि पश्चिमी देश परमाणु शक्ति को लेकर ब्लैकमेल कर रहे हैं लेकिन रूस के पास जवाब देने के लिए "बहुत से हथियार" हैं और उन्हें इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
लुहांस्क और दोनेत्स्क को मिलाकर डोनबास क्षेत्र कहा जाता है। रूस डोनाबास को स्वतंत्र देशों का दर्जा दे चुका है। इस क्षेत्र पर साल 2014 में रूस ने आंशिक तौर पर कब्जा कर लिया था। यूक्रेन और पश्चिमी देशों के अनुसार रूस ने यूक्रेन के सभी क्षेत्र अवैध तौर पर कब्जाए हैं।
फिलहाल दोनेत्सक के 60 प्रतिशत हिस्से पर रूस का कब्जा है और कई महीनों से जारी लड़ाई के दौरान रूस ने जुलाई में करीब पूरे लुहांस्क पर अपना अधिकार जमा लिया था।
रूसी कामयाबी खतरे में
लेकिन रूस की वह कामयाबी अब खतरे में है क्योंकि इस महीने पड़ेसी खारकीव क्षेत्र से रूसी सेनाओं को बाहर निकलना पड़ा था। इसके कारण रूस के हाथ से दोनेत्स्क और लुहांस्क के लड़ाई के मोर्चों की मुख्य सप्लाई लाइन का नियंत्रण छूट गया है।
एक कॉर्डिनेटिड कदम में मंगलवार को रूस समर्थक लड़ाकों ने लुहांस्क, दोनेत्स्क और खेरसान और जापोरिझझिया प्रांतों में सितंबर 23 से 27 तक एक जनमत संग्रह की भी घोषणा की है। यह यूक्रेन की सीमा का करीब 15 प्रतिशत हिस्सा है। यह इलाका करीब हंग्री देश जितना बड़ा है।