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वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले इराक में सैनिकों को भेजने और फिर उन्हें वापस बुलाने के अपने पूर्ववर्ती के फैसले पर सवाल उठाया और इस युद्धग्रस्त देश में स्थिरता बनाये रखने के लिए सहयोग देने का आश्वासन दिया। अमेरिका की यात्रा पर आये इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी के साथ व्हाइट हाउस के कैबिनेट कक्ष में ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, ‘शायद हमें वहां जाना नहीं चाहिये था और निश्चित रूप से हमें वापस नहीं आना चाहिये था। इससे खालीपन पैदा हो गया। हमने चर्चा की कि क्या हुआ।’ ओवल ऑफिस में दोनों नेताओं के बीच मुलाकात के बाद ट्रंप ने कहा कि उनका मुख्य जोर आईएस से छुटकारा पाने पर है। उन्होंने कहा, ‘हम आईएस से छुटकारा पाने जा रहे हैं. यह होगा. यह अब हो रहा है।’ उन्होंने कहा कि अमेरिकी रक्षा मंत्री जनरल (सेवानिवृत) जेम्स मैटिस और उनकी टीम ने अच्छा काम किया है। अल अबादी ने कहा कि आईएस एक आतंकवादी संगठन है जो विश्व की सुरक्षा के लिए खतरा है। अरबी भाषा में बात करते हुये इराकी प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आईएस से लड़ने में इराक आगे है। प्रधानमंत्री और उनका प्रतिनिधिमंडल कुछ दिन वाशिंगटन में रहेंगे और इस दौरान उनकी कांग्रेस के नेताओं से भी मुलाकात करने की संभावना है।

बाद में वाशिंगटन थिंक टैंक समुदाय को संबोधित करते हुये अल अबादी ने कहा कि ट्रंप ने आईएस का सामना कर रही और देश में स्थिरता लाने की कोशिश में जुटी इराक की सरकार को सहयोग देने का आश्वासन दिया है। एक शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक ‘यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस’ को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा, हमें आश्वासन दिया गया है कि सहयोग ना केवल जारी रहेगा बल्कि यह बढ़ेगा।’ बहरहाल, अमेरिकी सहयोग के तहत इराक में बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिक भेजने की संभावना नहीं है। अल अबादी के अनुसार इराकी सेना मोसुल शहर और उसके प्रांतों को इस्लामिक स्टेट के कब्जे से छुड़ाने के आखिरी चरण में है। इस सप्ताह इराकी प्रधानमंत्री आईएस से लड़ाई में 68 सदस्यीय वैश्विक गठबंधन के लिए रणनीति तैयार करने के वास्ते अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा 22-23 मार्च को आयोजित होने वाले सम्मेलन में भी भाग लेंगे।

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