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संयुक्त राष्ट्र: हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद जैसे संगठनों के साथ आतंकी संगठनों जैसा बर्ताव किया जाना चाहिए। इसके साथ ही भारत ने चेतावनी देते हुए कहा है कि आतंकवाद के ‘‘पुन:सिर उठाने वाले बलों’’ को किसी भी रूप में पनाहगाह नहीं दी जानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने अफगानिस्तान की स्थिति पर सुरक्षा परिषद के एक सत्र के दौरान कहा, ‘‘बेरोकटोक होने वाले और लगातार बढ़ने वाले क्रूर आतंकी हमले, अफगानिस्तान के बाहर से मिलती मदद के साथ आतंकी समूहों का क्षेत्रीय प्रसार और उभरता गंभीर मानवीय संकट.. ये सभी भयावह समय के लक्षण हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करना हमारा पहला और परम कर्तव्य है कि आतंकवाद और चरमपंथ को किसी भी नाम, रूप या स्वरूप में शरणस्थली न मिले।’’ उन्होंने कहा कि अनुभव ने यह दिखाया है कि उग्रवादियों के लिए जब ‘विदेशी मदद’ उपलब्ध होती है, तब स्थितियां बिगड़ती हैं और भारी नुकसान करती हैं। उन्होंने अच्छे और बुरे आतंकियों के बीच फर्क करने के खिलाफ और एक समूह के खिलाफ किसी दूसरे समूह का इस्तेमाल करने के खिलाफ चेतावनी दी।

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