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काठमांडो: नेपाल में मधेसियों का आंदोलन खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री केपी ओली अगले सप्ताह भारत का अपना पहला आधिकारिक दौरा करेंगे और इस दौरान वह द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए परस्पर हितों के मुद्दों पर शीर्ष भारतीय नेताओं से बातचीत करेंगे। कल (गुरुवार) हुई कैबिनेट की बैठक में ओली के भारत दौरे को स्वीकृति प्रदान की गई। उनका यह दौरा 19-23 फरवरी को होगा। अपने भारत दौरे पर ओली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी से भी उनका मिलने का कार्यक्रम है। भारत में नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने बताया, ‘यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री अतीत की गलतफहमियों को दूर करने और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने का प्रयास करेंगे।’

उन्होंने कहा कि अपनी भारत यात्रा के दौरान ‘प्रधानमंत्री मुख्य रूप से यह सुनिश्चित करने पर जोर देंगे कि नेपाल के नए संविधान की भारत की ओर से पूर्ण स्वीकार्यता हो तथा इसे सहज रूप से लागू करने के लिए सहयोग हासिल किया जाए। नेपाली सरकार के प्रवक्ता शेरधन राय ने संवाददाताओं को बताया कि कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री के दौरे के ब्यौरों पर चर्चा की गई। सूचना एवं संचार मंत्री शेर धन राय के अनुसार प्रधानमंत्री के शिष्टमंडल के सदस्यों को लेकर अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। बीते साल 20 सितंबर को नेपाल में नए संविधान की उद्घोषणा के बाद मधेसियों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। उनका आरोप था कि नए संविधान में उनको राजनीतिक रूप से हाशिए पर धकेल दिया गया था। इसको लेकर भारत-नेपाल संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई थी। नेपाल ने भारत पर सीमावर्ती इलाके में नाकेबंदी का आरोप लगाया था। इस आरोप को भारत ने खारिज किया था। ओली ने कल कहा कि इस यात्रा के दौरान वह भारत के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं करेंगे जिससे उनके देश की ‘संप्रभुता’ और ‘आत्म सम्मान’ को चोट पहुंचती हो। बीते आठ फरवरी को नाकेबंदी हटा ली गई और युनाइटेड डेमोक्रेटिक मधेसी फ्रंट ने आंदोलन वापस ले लिया था।

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