वाशिंगटन: अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के निदेशक जॉन ब्रेन्नन ने कहा कि आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट ने रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है और वे रासायनिक हथियार के तौर इस्तेमाल होने वाले अल्प मात्रा के क्लोरीन एवं मस्टर्ड गैस (सल्फर मस्टर्ड) बनाने की क्षमता रखते हैं। ‘सीबीएस न्यूज’ को दिए ब्रेन्नन के इंटरव्यू के अंश कल जारी किए गए जिसमें कहा गया, ‘हमारे पास ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें आईएसआईएल (आईएसआईएस) ने जंग के मैदान में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है।’ एक सवाल के जवाब में ब्रेन्नन ने कहा, ‘ऐसी सूचनाएं हैं कि आईएसआईएस की रासायनिक व्यापारियों और हथियारों तक पहुंच है, जिसका वे इस्तेमाल कर सकते हैं।’ ‘ सीबीएस न्यूज’ के मुताबिक, सीआईए का मानना है कि आईएसआईएस के पास अल्प मात्रा के क्लोरीन अैर मस्टर्ड गैस के उत्पादन की क्षमता है। ब्रेन्नन ने इस संभावना से भी इनकार नहीं किया कि इस्लामिक स्टेट समूह वित्तीय लाभ के लिए अन्य देशों को हथियारों का निर्यात करने की कोशिश कर सकता है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि उनके पास इन रसायनों के निर्यात की क्षमता है। इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि तस्कर मार्गों के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न परिवहन मार्गों को अवरूद्ध किया जाए।’ ब्रेन्नन ने बताया कि आईएसआईएल के खात्मे के प्रयास में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सक्रिय रूप से जुटी है और यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि सीरिया तथा इराक में उनके जखीरे कहां हैं। इस सप्ताह के शुरू में ‘नेशनल इंटेलिजेंस’ के निदेशक जेम्स क्लैपर ने खुफिया मामलों की सीनेट चयन समिति के सदस्यों को बताया था कि आईएसआईएस ने इराक और सीरिया में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा, ‘सीरिया और इराक में रासायनिक हथियारों का लगातार खतरा बना हुआ है। रासायनिक हथियारों संबंधी संधि में शामिल होने के बाद विरोध के बावजूद सीरिया ने कई मौकों पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है।’ क्लैपर ने कहा, ‘आईएसआईएल ने इराक और सीरिया में सल्फर मस्टर्ड सहित जहरीले रसायनों का इस्तेमाल किया है। जापान में 1995 में हुए एक हमले में ऑम शिनरिक्यो के सैरीन नामक रसायन के इस्तेमाल के बाद वह पहला ऐसा चरमपंथी समूह है जिसने रासायनिक युद्ध घटक का उत्पादन और इस्तेमाल किया है।’ मस्टर्ड गैस एक तरह का रासायनिक युद्ध घटक है जिसके कारण खुली त्वचा पर बड़े-बड़े फफोले उभर आते हैं और फेंफड़े को भी नुकसान पहुंचता है।