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वाशिंगटन: अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एशिया में शांति, स्थिरता और समृद्धि के प्रति अमेरिका और भारत का एक साझा नजरिया होने की बात कही है लेकिन साथ ही उन्होंने हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में दोनों देशों की संयुक्त समुद्री गश्त की योजनाओं से जुड़ी खबरें खारिज कर दी हैं। विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता मार्क टोनर ने कल अपने दैनिक संवाददाता सम्मलेन में संवाददाताओं को बताया, ‘इस समय मैं यह कह सकता हूं कि संयुक्त समुद्री गश्तों की कोई योजना नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘अमेरिका और भारत एशिया में शांति, स्थिरता और समृद्धि के प्रति एक साझा नजरिया रखते हैं। हम हमारे साझा लक्ष्यों को एक उन्मुक्त, संतुलित और समावेशी सुरक्षा ढांचे के तहत हासिल करने के लिए क्षेत्र में दूसरों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’ टोनर उन खबरों से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे, जिनमें कहा गया था कि भारत और अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर समेत कई क्षेत्रों में संयुक्त नौसैन्य अभ्यास करने के मुद्दे पर वार्ताएं की हैं।

विदेश मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार, हिंद महासागर या दक्षिण चीन सागर में गश्त से जुड़ा ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है। जब उनसे पूछा गया, ‘क्या दक्षिण चीन सागर या कहीं और समुद्री गश्त की कोई योजना है?’ तो टोनर ने ‘ना’ में जवाब दिया। जब टोनर से दोबारा पूछा गया, तो उन्होंने फिर से इंकार करते हुए कहा, ‘यहां तक कि हिंद महासागर में भी, ऐसी कोई योजना नहीं है।’ हाल ही में मीडिया में ऐसी खबरें आई थीं कि भारत और अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर समेत कई इलाकों में संयुक्त समुद्री गश्त करने के सिलसिले में वार्ताएं की हैं। दक्षिणचीन सागर में बीजिंग के उसके कई पड़ोसी देशों के साथ समुद्री और क्षेत्रीय विवाद हैं। अमेरिका चाहता है कि उसके क्षेत्रीय सहयोगी दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर चीन के खिलाफ एकजुट रवैया अपनाएं। दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा सात द्वीप बनाए जाने के बाद से तनाव है। चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। इसके फलस्वरूप वियतनाम, फिलीपीन्स, मलेशिया और ब्रुनेई जैसे अन्य एशियाई देश भी दावे करते रहे हैं। ये देश चीन पर आरोप लगाते हैं कि वह सैन्य इस्तेमाल में लाई जा सकने वाली सुविधाओं से युक्त कृत्रिम द्वीप बनाने के लिए विवादित क्षेत्रों पर अवैध दावा करता है।

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