लाहौर: पाकिस्तान की एक अदालत ने देश के पूर्व राष्ट्रपति और विपक्षी दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी की ‘सेना-विरोधी’ टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी। लाहौर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सैयद मंसूर अली शाह ने याचिका को अभियोजन के लिए अस्वीकार्य बताते हुए खारिज कर दिया। वकील आफताब विर्क ने याचिका दायर कर कहा था कि जरदारी में जून 2015 में अपने भाषण में सेना के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया था। उन्होंने कहा है कि उस दौरान सेना जर्ब-ए-अज्ब अभियान में व्यस्त थी और ऐसे वक्त में उसके खिलाफ बयान सही नहीं था। विर्क ने कहा, ‘जरदारी ने सेना पर निशाना साध कर और उसकी छवि धूमिल करके देशद्रोह किया है।’ उन्होंने अदालत से संविधान के अनुच्छेद छह के तहत जरदारी के खिलाफ मुकदमा चलाने का अनुरोध किया। मुख्य न्यायाधीश याचिका दायर करने वाले की ओर से उसे स्वीकार करने के संबंध में दलीलें सुन रहे थे। जरदारी ने पिछले वर्ष ‘अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने’ के लिए सेना की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, ‘सेना प्रमुख प्रत्येक तीन वर्ष में आते-जाते रहते हैं, लेकिन राजनीतिक नेतृत्व यहां ठहरने वाला है।
हम देश को अच्छे से जानते हैं और हम जानते हैं कि इसे कैसे चलाना है।’