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भदोही: बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी शराबबंदी को सियासी मुद्दा बनाए जाने के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज (बुधवार) कहा कि लाखों लोगों की रोजी-रोटी से जुड़े होने की वजह से इस मामले पर कोई भी निर्णय इतनी जल्दी नहीं लिया जा सकता। मुख्यमंत्री ने भदोही में एक जनसभा को सम्बोधित करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में एक सवाल पर कहा कि शराबबंदी पर कोई भी निर्णय इतनी जल्दी नहीं लिया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘शराब के व्यवसाय से बहुत लोग जुड़े होते हैं। गन्ना किसान जुड़े है, हजारों दुकानें हैं और लाखों लोगों की रोज़ी रोटी इससे जुड़ी है। इसलिए इस पर कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया जा सकता। हम अभी सिर्फ इतना कह सकते हैं कि लोगों को शराब कम पीनी चाहिए।’ मालूम हो कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद वहां सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में इसे प्रमुख मुद्दा बना रही है। इसके पूर्व, सुबह आई तेज़ आंधी और बारिश की वजह से तय वक़्त से करीब डेढ़ घंटा देर से जनसभा स्थल पहुंचे अखिलेश ने बसपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को निशाने पर लेते हुए कहा, ‘बुआजी ने पत्थर और स्मारक बनवाकर धन की बर्बादी की।

लखनऊ: समाजवादी पार्टी की तरफ से अमर सिंह, बेनी प्रसाद वर्मा और रेवती रमण सिंह समेत सात नेताओं ने बुधवार को राज्‍यसभा के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया। राज्‍यसभा के पूर्व घोषित नाम में अरविंद सिंह की जगह पार्टी नेतृत्‍व ने सुरेन्‍द्र नागर का पर्चा दाखिल कराया है। जबकि बतौर सपा प्रत्‍याशी आठ लोगों ने विधान परिषद के लिए पर्चा भरा। इससे पहले सपा मुख्‍यालय पर पार्टी नेता इकट्ठा हुए। यहां अमर सिंह, बेनी प्रसाद वर्मा और रेवती रमण सिंह आदि नेताओं और उनके समर्थकों का भारी जमावड़ा था। ये सभी नेता नामांकन दाखिल करने से पहले सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से मिले और फि‍र यहां से नामांकन दाखिल करने के लिए सभी नेताओं का काफि‍ला विधान भवन के लिए कूच कर गया। राज्‍यसभा के लिए बिल्‍डर संजय सेठ, विधान परिषद के पूर्व सभापति सुखराम सिंह यादव और विश्‍वम्‍भर प्रसाद निषाद ने भी पर्चा भरा है। सपा के टिकट पर विधान परिषद के लिए शतरुद्र प्रकाश, यशवंत सिंह, प्रदेश सरकार में माध्‍यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव, कमलेश पाठक, बुक्‍कल नवाब, राम सुंदर निषाद, गोंडा के रणविजय सिंह और मुख्‍यमंत्री के ओएसडी जगजीवन प्रसाद ने नामांकन पत्र दाखिल किए हैं।

नई दिल्ली: लोकसभा में पांच सांसदों वाली समाजवादी पार्टी की आवाज़ सिर्फ पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ही बुलंद नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनके भतीजे और बदायूं से सांसद धर्मेंद्र यादव भी उनका बखूबी साथ दे रहे हैं। लोकसभा में सबसे ज्यादा सवाल उठाने वाले सांसदों की लिस्ट में वे तीसरे नंबर हैं। उन्होंने अब तक सदन में कार्यवाही के दौरान 453 सवाल किए हैं। इस लिहाज से वे सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मुलायम सिंह यादव जैसे वरिष्ठ सांसदों को पछाड़ते हुए उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा सक्रिय सांसदों की सूची में शामिल हो गए हैं। पीआरएस लेजिस्लेटिव की रिसर्च के मुताबिक, महाराष्ट्र के बारामती से राकांपा की सांसद सुप्रिया सुले 509 सवालों के साथ टॉप पर हैं। वे राकांपा शरद पवार की बेटी हैं। वहीं, पुणे के शरिूर से सांसद शिवाजी अधलराव पाटिल और महाराष्ट्र के हिंगोली से कांग्रेस पार्टी के सांसद राजीव संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर हैं। दोनों ने अब तक 459 सवाल किए हैं। यूपी के बदायूं से समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव के नाम 453 सवाल हैं। इसके बाद हैदराबाद से सांसद असदउद्दीन ओवैसी का नंबर आता है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की 11 और विधान परिषद की 13 सीटों के द्विवार्षिक आम चुनाव की प्रक्रिया मंगलवार को शुरू होने के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपने अधिक से अधिक उम्मीदवारों को जिताने की कवायद शुरू कर दी और इन चुनावों में छोटे दलों की महत्वपूर्ण भूमिका रहने की उम्मीद है। प्रमुख सचिव (विधानसभा) प्रदीप दुबे ने कहा, ‘प्रक्रिया शुरू हो चुकी है लेकिन आज कोई नामांकन नहीं दाखिल किया गया।’ जरूरत पडने पर विधानपरिषद के लिए 10 जून और राज्यसभा के लिए 11 जून को मतदान कराये जाएंगे। राज्यसभा और विधान परिषद के चुनाव में आठ विधायकों वाली रालोद, चार विधायकों सहित पीस पार्टी, दो विधायकों वाले कौमी एकता दल, एक सदस्यीय राकांपा, अपना दल, इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल, तृणमूल कांग्रेस के अलावा छह निर्दलीय विधायकों की भूमिका अहम रहेगी। सत्ताधारी समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा के लिए पहले पहल सात उम्मीदवारों और विधान परिषद के लिए आठ उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया। मुख्य विपक्षी दल बसपा ने भी राज्यसभा के लिए दो और विधान परिषद के लिए तीन उम्मीदवारों के नाम घोषित किये हैं। भाजपा और कांग्रेस को अपने उम्मीदवारों के नाम अभी घोषित करने हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा में 403 सदस्य हैं और इस लिहाज से राज्यसभा में किसी उम्मीदवार को जीतने के लिए 37 विधायकों तथा विधान परिषद में 32 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता होगी।

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