नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि शाहजहांपुर की कानून की छात्रा द्वारा पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ लगाये गये उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिये आईजी रैंक के पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में विशेष जांच दल गठित किया जाये। यह छात्रा आरोप लगाने के बाद राजस्थान में मिली थी और उसे शुक्रवार को ही न्यायालय के निर्देश पर न्यायाधीशों के समक्ष पेश किया गया था। न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने इस प्रकरण की सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि वह इस मामले में एक दूसरे के खिलाफ दायर प्राथमिकियों की जांच की निगरानी के लिये एक पीठ गठित करें।
पीठ ने कहा कि विशेष जांच दल, जिसमें पुलिस अधीक्षक रैंक का अधिकारी भी होगा, छात्रा की शिकायतों पर गौर करेगा। चिन्मायानंद पर उत्पीड़न के आरोप लगाने और अपनी तथा अपने परिवार के सदस्यों की जिंदगी के खतरे के बारे में कानून की इस छात्रा का एक वीडियो क्लिप सामने आने के बाद उसके लापता हो जाने की घटना के मद्देनजर शाहजहांपुर पुलिस ने 27 अगस्त को पूर्व केन्द्रीय मंत्री चिन्मयानंद के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी।
छात्रा के पिता ने भी पुलिस में एक शिकायत दर्ज करायी थी, जिसमें चिन्मयानंद पर उसका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। भाजपा के नेता के वकील ने इस आरोप का प्रतिवाद करते हुये दावा किया कि यह उन्हें ब्लैकमेल करने की साजिश है। महिला के पिता ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी 72 वर्षीय भाजपा नेता के इशारे पर ही लापता हो गयी थी। वह उनके मुमुक्षु आश्रम द्वारा संचालित कालेजों में से एक कालेज में एलएलएम की छात्रा है।