नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के शिक्षामित्रों को तय वेतन से कम वेतन देने के मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह नोटिस याचिकाकर्ता भोला सिंह की विशेष अनुमति याचिका पर मंगलवार को जारी किया। याचिका में कहा गया है कि शिक्षामित्रों को राज्य सरकार से 25 जुलाई 2017 से मानदेय मिलना चाहिए था लेकिन सरकार ने मानदेय अगस्त 2017 से जारी किया है। जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। क्योंकि कोर्ट ने सरकार से कहा था कि शिक्षकों को समायोजन से पूर्व की स्थिति में रखने की जिम्मेदारी सरकार की है।
सरकार द्वारा दिया जाने वाला यह मानदेय 10000 रुपये की दर से 26506 पैराटीचर के लिए तथा 8878 रुपये 1216 अपग्रेड पैराटीचर के लिए दिया है। याचिकाकर्ता ने कहाकि समायोजन से पूर्व की स्थिति एक लाख 24 हजारअपग्रेड पैराटीचर की है। सरकार को जवाब आने के बाद इस मामले में आगे की सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि दो वर्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में शिक्षामित्रों के नियमित शिक्षकों के रूप में समायोजित करने के सरकार के फैसले को रद्द कर दियाथा। कोर्ट ने सरकार से कहा था कि उन्हें समायेाजन से पूर्व की स्थिति में लाए और उनके अनुसार वेतन दे।