लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार सपा मुखिया अखिलेश यादव पर करारा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि अखिलेश नहीं चाहते थे कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन मुस्लिमों को अधिक टिकट दे। उनका मानना था कि इससे वोटों का ध्रवीकरण होगा और भाजपा को सीधा फायदा मिलेगा। मायावती के इस रुख से साफ हो गया है कि गठबंधन के सभी रास्ते बंद हो चुके हैं। मायावती ने रविवार को लखनऊ में पार्टी की अखिल भारतीय बैठक में गठबंधन तोड़ने के कारणों को एक-एक कर गिनाया।
उन्होंने कहा कि 23 मई को मतगणना के दिन कन्नौज से डिंपल यादव के हारने पर उन्होंने अखिलेश को फोन किया। इसके बाद गठबंधन तोड़ने वाले दिन यानी 3 जून तक अखिलेश ने उन्हें फोन करना मुनासिब नहीं समझा। उन्होंने कहा कि सपा मुखिया लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवाने में अधिक मुस्लिमों को टिकट देने के पक्ष में नहीं थे जबकि, वह चाहती थीं कि अधिक टिकट दिया जाए जिससे गठबंधन को अधिक फायदा मिले। बसपा सुप्रीमो ने लोकसभा चुनाव में हार का पूरा ठीकरा सपा मुखिया पर फोड़ते हुए कहा कि यादवों ने गठबंधन को वोट नहीं किया।
इतना ही नहीं भितरघात होता रहा और अखिलेश ने भीतरघात करने वालों पर कोई कार्रवाई भी नहीं की। उन्होंने कहा कि अगर यादवों का पूरा वोट गठबंधन को मिलता तो बदायूं, फिरोजाबाद और कन्नौज जैसी सीटें सपा न हारती। इससे साफ है कि यादव का अधिकतर वोट भाजपा को ट्रांसफर हुआ।
दानिश अली व एससी मिश्रा को अहम काम
मायावती ने नेता लोकसभा कुंवर दानिश अली और नेता राज्यसभा सतीश चंद्र मिश्र को विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए अहम जिम्मेदारी सौंपी है। दोनों नेता यूपी विधानसभा की सुरक्षित सीटों पर भाईचार कमेटियां खड़ी करेंगे।
मोबाइल बाहर रखा गया
मायावती की बैठक में जाने वाले नेताओं और पदाधिकारियों का मोबाइल बाहर ही रखा लिया गया। इसके पहले भी नेताओं के मोबाइल पहले बाहर रखाए जाते रहे हैं, लेकिन बड़े नेताओं को इससे बाहर रखा जाता था। पहली बार ऐसा हुआ है कि सभी नेताओं के मोबाइल बाहर ही रखा लिए गए।