सुलतानपुर: प्रियंका गांधी ने कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. संजय सिंह के समर्थन में गुरुवार की शाम शहर में जोरदार रोड शो किया। इसमें भारी भीड़ उमड़ी। उन पर पुष्प और पंखुरियां बरसीं। उन्होंने कभी प्रशंसकों की ओर उन्हें वापस फेंका तो कभी मुस्कुरा और अभिवादन कर स्वागत के प्रति आभार जताते हुए वोट की अपील की। वहीं दरियापुर में चाची मेनका गांधी का काफिला और भतीजी प्रियंका गांधी का काफिला आमने सामने हो गया। पुलिस ने मेनका का काफिला उनके आवास की मोड़ दिया और प्रियंका के काफिले को आगे बढ़ाया।
दरियापुर से एक खुले-सजे वाहन में सवार प्रियंका के साथ उनकी बेटी मिराया, बहराइच की सांसद सावित्री बाई फुले, डॉ. संजय सिंह तथा पूर्व मंत्री अमिता सिंह भी शामिल थीं। प्रियंका के इस रोड शो की अहमियत इसलिए और बढ़ जाती है, क्योंकि भाजपा की ओर से उनकी चाची मेनका गांधी सुलतानपुर से उम्मीदवार हैं। बगल की अमेठी सीट पर राहुल गांधी की मौजूदगी के कारण लोगों को इस बात में दिलचस्पी थी कि परस्पर विरोधी खेमे के गांधी क्या आमने-सामने होंगे? राहुल के बाद प्रियंका के रुख़ से साफ़ हुआ कि उन्हें परहेज नहीं।
राहुल गांधी 22 अप्रैल को अमहट हवाई पट्टी के समीप और 4 मई को धंमौर में संजय सिंह के समर्थन में कार्यकर्ता सम्मेलन कर चुके हैं। दोनों ही मौकों पर उन्होंने प्रतिद्वन्दी उम्मीदवार का जिक्र नहीं किया लेकिन संजय सिंह की लोकसभा में जरूरत बताते हुए उन्हें जिताने की अपील की थी।
गांधी परिवार की खेमेबंदी पुरानी है। उनकी चुनावी टकराहट की शुरुआत सुलतानपुर से ही हुई थी। 1984 में तब सुलतानपुर जिले का हिस्सा रही अमेठी की लोकसभा सीट पर राजीव गांधी और मेनका गांधी टकराये थे। इस चुनाव में शिकस्त के तीन दशक बाद तक मेनका यहां से दूर रहीं। 2010 में अमेठी अलग जिला बन गया। 2014 में वरुण गांधी सुलतानपुर-अमेठी को अपने पिता स्व. संजय गांधी की कर्मभूमि बताते हुए सुलतानपुर से चुनाव लड़े और जीते। उसी समय यह सवाल उठा था कि क्या यह परिवार की राजनीतिक लड़ाई का अगला चरण है?
दिलचस्प है कि 2014 के चुनाव में वरुण ने सुलतानपुर में रहते हुए अमेठी से दूरी बनाए रखी। वह अपने पूरे संसदीय कार्यकाल में भी अमेठी पर चुप और उससे दूर रहे। लेकिन दूसरे खेमे ने कोई रियायत नहीं की। उस चुनाव में राहुल, प्रियंका और रॉबर्ट बाड्रा ने तब की पार्टी उम्मीदवार अमिता सिंह के पक्ष में रोड शो किया था।
प्रियंका ने तो इससे आगे बढ़कर वरुण के रास्ते को गलत और उन पर परिवार के साथ विश्वासघात का आरोप जड़ते हुए मतदाताओं से उन्हें हराने की भी अपील की थी। हालांकि यह अपील बेअसर थी। कांग्रेस उम्मीदवार को सिर्फ 41,983 वोट मिले थे और जमानत जब्त हो गई थी। 2019 में वरुण की सुलतानपुर सीट पर चुनाव लड़ने के लिए आई मेनका से सवाल हुआ था कि क्या वह अमेठी में प्रचार करेंगी? उन्होंने इसका फैसला पार्टी पर छोड़ा था। वरुण ने भी पीलीभीत में अमेठी को लेकर हुए सवाल पर यही जवाब दिया था।
फ़िलहाल अमेठी में छह मई को मतदान हो चुका है। उस दौरान वरुण भी सुल्तानपुर में ही अपनी मां का प्रचार करते रहे। पिछले मौकों की तरह इस बार भी मेनका-वरुण अमेठी के चुनाव से दूर रहे। दूसरी तरफ परिवार का दूसरा खेमा मजबूती से अपने उम्मीदवार के साथ है। 12 मई को सुलतानपुर में मतदान है। पहले राहुल और अब प्रियंका ने सुलतानपुर में प्रचार कर संदेश दे दिया कि उनके लिए पार्टी और अपने उम्मीदवार के चुनावी हित पारिवारिक रिश्तों के मुकाबले ज्यादा कीमती हैं।