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लखनऊ: सपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को आज सर्वसम्मति से पार्टी विधानमण्डल दल का नेता चुन लिया गया। अखिलेश ने पार्टी विधानमण्डल दल की बैठक में कहा कि देश की राजनीति एक खतरनाक मोड़ पर है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने कट्टरपंथी एजेंडा को भाजपा सरकारों के माध्यम से लागू करने की साजिश कर रहा है। बैठक में अहमद हसन, बलराम यादव, राजेंद्र चौधरी, बलवंत सिंह रामूवालिया, शैलेंद्र ललई, नरेश उत्तम, दुर्गा यादव, पारसनाथ यादव आदि नेता खास तौर पर मौजूद रहे। अखिलेश यादव को नेता विधानमंडल दल बनाने का प्रस्ताव पूर्व मंत्री बलराम यादव और प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने किया। विधान परिषद में नेता चयन का अधिकार अखिलेश यादव को देने का प्रस्ताव पूर्व मंत्री प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने प्रस्तुत किया। सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने पत्रकारों को बताया कि पार्टी विधानमण्डल दल की राज्य मुख्यालय पर बैठक हुई, जिसमें पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को सर्वसम्मति से विधानमण्डल दल का नेता चुन लिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि विधानमण्डल दल ने विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के चयन का अधिकार भी अखिलेश को दे दिया है। बैठक के बाद अखिलेश ने अहमद हसन के नाम पर मुहर लगा दी। विधानमण्डल दल की आज की बैठक में शिवपाल और आजम खां नहीं पहुंचे।

माना जा रहा है कि मजबूत दावेदारी होने के बावजूद अखिलेश ने इन दोनों को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने का मौका नहीं दिया। इससे दोनों ही नेता नाराज हैं। गौरतलब है कि शिवपाल यादव बैठक शुरू होने के बाद अपनी गाड़ी से सपा दफ्तर के सामने से गुजरे और आगे बढ़ गये। वरिष्ठ सदस्य आजम खां भी बैठक से गैरहाजिर रहे। अखिलेश यादव द्वारा बुलाई गई बैठक में इन दोनों की गैरहाजिरी की अलग अलग निहितार्थ निकाले जाते रहे। बैठक में संरक्षक होने के नाते मुलायम को नहीं बुलाया गया था। इस बीच 29 मार्च को मुलायम सिंह यादव द्वारा बुलाई गई विधायकों की बैठक रद्द हो गई है। अखिलेश ने कल अपने विश्वासपात्र विधायक रामगोविन्द चौधरी को वरिष्ठ विधायक खां और शिवपाल पर तरजीह देते हुए विधायक दल का नेता मनोनीत किया था। सपा के सबसे बड़ा विपक्षी दल होने के नाते चौधरी ही नेता प्रतिपक्ष होंगे। अखिलेश ने आज बैठक में विधानसभा चुनावों के नतीजों का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा ने इन चुनावों में राजनीतिक भ्रष्टाचार का परिचय कराया है। भाजपा सरकार के पास उत्तर प्रदेश के विकास की कोई योजना नहीं है। झूठे वादे करके यह सरकार बनी है। प्रदेश की जनता को सुनियोजित तरीके से गुमराह किया गया है। यह भ्रष्ट राजनीति का एक नया रूप सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि देश की राजनीति एक खतरनाक मोड़ पर है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने कट्टरपंथी एजेंडा को भाजपा सरकारों के माध्यम से लागू करने की साजिश रच रहा है। इससे देश का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप खतरे में पड़ने की आशंका है।

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