लखनऊ: भाजपा के कट्टर हिन्दूवादी चेहरे और पांच बार के सांसद आदित्यनाथ योगी ने रविवार को उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। योगी सहित उत्तर प्रदेश में 47 सदस्यीय मंत्रिपरिषद ने शपथ ली जिसमें दो उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डा दिनेश शर्मा भी हैं। क्रिकेटर से नेता बने मोहसिन रजा योगी सरकार में एकमात्र मुस्लिम चेहरा है। उन्होंने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। भाजपा ने इस बार विधानसभा चुनाव में एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया था। मुख्यमंत्री योगी सहित उप मुख्यमंत्री मौर्य और शर्मा तथा राज्य मंत्री रजा तीनों ही विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। योगी कैबिनेट में 22 कैबिनेट मंत्री हैं। नौ विधायकों को स्वतंत्र प्रभार वाला राज्य मंत्री बनाया गया है जबकि 13 राज्य मंत्री हैं। उत्तर प्रदेश में 15 साल का वनवास खत्म करते हुए भाजपा और सहयोगी दलों ने 403 में से 325 सीटों पर कब्जा कर विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की और 44 वषीर्य योगी भगवा पार्टी से चौथे मुख्यमंत्री होंगे। उनसे पहले कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश की कमान संभाल चुके हैं। राज्यपाल राम नाईक ने राजधानी के कांशीराम स्मति उपवन में आयोजित एक भव्य समारोह में मुख्यमंत्री और उनके कैबिनेट सहयोगियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी। समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी एवं मुरली मनोहर जोशी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास जताया कि नई टीम उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेगी। उन्होंने ट्वीट किया, विकास का कीर्तिमान बनेगा। हमारा एकमात्र मिशन और उद्देश्य विकास है। जब उत्तर प्रदेश विकास करेगा तो भारत विकास करेगा। हम उत्तर प्रदेश के युवाओं की मदद करना चाहते हैं और उनके लिए नए अवसर पैदा करना चाहते हैं। शपथ ग्रहण समारोह में उत्तर प्रदेश के निवर्तमान मुख्यमंत्री सपा मुखिया अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव भी शामिल हुए। दोनों मंच पर मौजूद थे और समारोह संपन्न होने के बाद मुलायम मोदी से पूरी गर्मजोशी से मिले और उनके कान में कुछ कहते नजर आए। अखिलेश ने भी मोदी से हाथ मिलाया। बसपा सुप्रीमो मायावती समारोह में नजर नहीं आईं। योगी को कल सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना गया। इस फैसले ने सभी को हैरत में डाल दिया। योगी के पास प्रशासनिक अनुभव की कमी है। शपथ ग्रहण के बाद योगी ने नवनिर्मित लोकभवन जाकर मुख्यमंत्री का पदभार संभाल लिया। योगी अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान भी हिन्दुत्व को आगे रखते हुए उन्होंने आक्रामक प्रचार किया था। बताया जाता है कि योगी के मुख्यमंत्री पद पर चयन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सहमति थी।