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देहरादून: उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी ही भाजपा के नए मुख्यमंत्री होंगे। इसके साथ ही राज्‍य के नए मुख्यमंत्री को लेकर बना असमंजस सोमवार को उस समय खत्म हो गया, जब विधायक दल की बैठक के बाद धामी के नाम का एलान हुआ। सूत्रों ने बताया कि धामी, राज्‍यपाल से मिलने के लिए रवाना हो चुके हैं। वे 'महामहिम' से भेंट करके राज्‍य में सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और राज्य के चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी को विधायक दल की बैठक के लिए पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया था। विधायक दल की बैठक शाम 5 बजे शुरू हुई और 11 दिनों के सस्पेंस के बाद मुख्यमंत्री को लेकर स्पष्टता बन पाई। बता देंं, उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बहुमत तो हासिल किया हैं लेकिन सीएम पुष्‍कर सिंह धामी खटीमा से चुनाव हार गए गए थे।

इससे पहले, केंद्रीय पर्यवेक्षक औऱ प्रभारी दोपहर को देहरादून के जॉलीग्रांट एय़रपोर्ट पहुंचे थे तो कई नेता उनके स्वागत के लिए मौजूद थे। वहां से वो विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए रवाना हो गए।

उत्तराखंड में भाजपा ने पुष्कर धामी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था और 47 सीटें जीतकर दोबारा सत्ता में वापसी सुनिश्चित की थी। लेकिन धामी खुद चुनाव हार गए थे। मुख्यमंत्री पद के आधा दर्जन दावेदारों में धामी को ही सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था। उनके अलावा चौबट्टाखल से विधायक सतपाल महाराज, श्रीनगर से विधायक धन सिंह रावत, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक और केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट भी दावेदारों में शुमार किए जा रहे हैं। वैसे, उत्तराखंड में भाजपा की विधानसभा चुनाव में जीत के पीछे धामी की भूमिका को काफी श्रेय दिया गया और इसी का लाभ उन्‍हें मिला। एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है कि जो धामी को दोबारा पांच साल के लिए सरकार की कमान सौंपने की वकालत कर रहा था। बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यूपी, उत्तराखंड समेत चार राज्यों में सरकार के गठन को लेकर अहम बैठक की थी।

उत्तराखंड की 70 सीटों के परिणाम भाजपा के लिए बेहद शानदार रहे हैं। पार्टी ने जहां 47 सीटों पर कब्‍जा जमाया था, वहीं मुख्‍य विपक्षी दल कांग्रेस को 19 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। बहुजन समाज पार्टी और अन्‍य के खाते में दो-दो सीटें आई थीं। आम आदमी पार्टी ने भी उत्तराखंड में चुनाव लड़ा था, लेकिन यह खाता खोलने में भी नाकाम रही। राज्‍य के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है।

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