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देहरादून: विधानसभा चुनावों के निकट आते ही मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी को लेकर चल रही कयासबाजी के बीच वरिष्ठ भाजपा नेता भुवन चंद्र खंडूरी ने आज कहा कि पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी देगी, वह उसे एक सैनिक की तरह मुस्तैदी से निभायेंगे। पौड़ी गढ़वाल से लोकसभा सांसद मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) भुवनचंद खंडूरी ने कहा, ‘पार्टी ने मुझे जितना दिया है, वह मैं कई जन्मों में भी नहीं पा सकता था। आगे भी पार्टी मुझे जो जिम्मेदारी देगी, मैं उसे एक सैनिक की तरह मुस्तैदी से निभाऊंगा। मैं यह भी जरूर बताना चाहूंगा कि अगर कोई गलत काम करेगा तो मैं उसका जोर-शोर से विरोध करूंगा।’ 82 वर्षीय खंडूरी ने कहा कि नेताओं की उम्र को लेकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा लिये गये फैसले का वह सम्मान करते हैं। उम्र की सीमा तय करना सैद्वांतिक रूप से बहुत जरूरी है और इसके लिये हिम्मत चाहिये। लेकिन, इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी जोड़ा कि इस तरह के निर्णयों का हमें केवल सम्मान ही नहीं करना चाहिये, बल्कि यह भी देखना चाहिए कि उनका ठीक तरह से अनुपालन भी हो। वर्ष 2012 विधानसभा चुनावों के संबंध में खंडूरी ने कहा कि जब वर्ष 2011 के उत्तरार्ध में उन्होंने मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभाला तब भाजपा को केवल सात-आठ सीटें मिलने का ही अनुमान जताया जा रहा था लेकिन तीन-चार महीने में लिये गये कठोर निर्णयों के कारण बने वातावरण ने पार्टी को जीत के मुहाने तक ला खड़ा किया।

खंडूरी के दूसरे मुख्यमंत्रित्व काल में मुख्यमंत्री पद को भी लोकायुक्त के दायरे में लाने वाले लोकायुक्त कानून, तबादला कानून समेत लिये गये कई निर्णयों को भाजपा को जीत की कगार तक पहुंचने का श्रेय दिया जाता है। हालांकि, 70 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा 31 सीटों पर विजयी हुई थी और कांग्रेस के मुकाबले केवल एक सीट से पीछे रहकर सत्ता से दूर हो गयी। पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं करने के संबंध में खंडूरी ने कहा कि चेहरा सामने लाना कोई सैद्धांतिक मजबूरी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘चेहरा सामने लाने के फायदे भी होते हैं और नुकसान भी।’ वर्ष 2007 के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने औपचारिक तौर पर कोई मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया था लेकिन सत्ता में आने के बाद पार्टी ने खंडूरी के नेतृत्व में सरकार बनायी। हालांकि, वर्ष 2012 में पार्टी ने विधानसभा चुनाव ‘उत्तराखंड के लिये खंडूरी है जरूरी’ के नारे पर लड़ा था। नोटबंदी को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में खंडूरी ने कहा कि ऐसे निर्णयों को लेने के लिये हिम्मत चाहिये। ऐसे निर्णय लेने में थोड़ी-बहुत तकलीफ तो होती है लेकिन इनसे भविष्य सुधर जाता है।

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