बेंगलुरु: कर्नाटक में जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) की मुश्किल बढ़ती जा रही है। बीजेपी के साथ गठबंधन के बाद मुस्लिम नेता जेडीएस का साथ छोड़ रहे हैं। अब दो और फ्रंट खुल गए हैं। कर्नाटक के देवदुर्गा से पार्टी विधायक करीअम्मा नायक ने गठबंधन के खिलाफ आवाज उठाई है, वहीं केरल में पार्टी के दोनों विधायकों ने अल्टीमेटम दिया है कि या तो जेडीएस अपना फैसला बदले या फिर वो एनडीए या बीजेपी के साथ खड़े नहीं हो सकते हैं। इसके चलते जेडीएस सुप्रीमो एच डी देवेगौड़ा मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। उनके मुताबिक, अपनी पार्टी जेडीएस के भविष्य के लिए उन्होंने बीजेपी का दामन थामा है।
हालांकि बीजेपी के साथ आते ही पहले उनकी पार्टी के मुस्लिम नेता पार्टी से अलग होने लगे और अब जेडीएस के कर्नाटक के देवदुर्गा से विधायक करीअम्मा नायक ने विद्रोह का बिगुल फूंक दिया है। करीअम्मा नायक ने कहा कि मेरी पार्टी मेरे लिए भगवान है और हमारी पार्टी के सभी वरिष्ठ मेरे लिए भगवान के समान हैं। मैं उनके फैसले पर कोई बयान नहीं दूंगा, लेकिन किसी भी कीमत पर मेरे निर्वाचन क्षेत्र में किसी भी तरह का गठबंधन नहीं होगा।
उन्होंने कहा, मैं उस पर कायम हूं। फैसला जो भी हो हमारे लोगों का होगा, यह मेरा निर्णय है। मेरे निर्वाचन क्षेत्र में कोई गठबंधन नहीं होगा।
जेडीएस आलाकमान को केरल से भी मिल रही चुनौती
जेडीएस आलाकमान यानी देवेगौड़ा और कुमारस्वामी को चुनौती केरल से भी मिल रही है। जेडीएस के वहां पर दो विधायक हैं। उनमें से एक राज्य सरकार में इलेक्ट्रिसिटी मिनिस्टर के. कृष्णकुट्टी का कहना है कि भले ही पार्टी ने एनडीए का दामन थामा हो, लेकिन केरल में जेडीएस पहले की तरह गठबंधन जारी रखेगी, वो बीजेपी का समर्थन नहीं कर सकते हैं। वहीं दूसरे विधायक जेडीएस के मैथ्यू टी थॉमस हैं, जो प्रदेश में जेडीएस अध्यक्ष भी हैं। वो भी इस गठबंधन के खिलाफ हैं। अब अक्टूबर के पहले हफ्ते में पार्टी की राज्य इकाई की बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी।
इस मुद्दे पर नहीं बोले देवेगौड़ा और कुमारस्वामी
देवेगौड़ा और कुमारस्वामी ने मंगलवार को बेंगलुरु में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। हालांकि उन्होंने पार्टी में चल रही उठापठक पर कुछ भी कहने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि इस विषय पर अलग से प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई जाएगी। फिलहाल बात सिर्फ कावेरी पर ही दोनों बात करेंगे। जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि मुझे जो भी इस बारे में कहना है, वो मैं बुधवार को बता दूंगा।
देवेगौड़ा ने भले ही पार्टी के भविष्य के लिए बीजेपी का दामन थामा हो, लेकिन कर्नाटक से लेकर केरल तक जहां जेडीएस का जनाधार है, वहां के नेता जिस तरह से विद्रोही तेवर दिखा रहे हैं इसे संभालना शायद देवेगौड़ा के लिए आसान नहीं होगा।