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तिरूवनंतपुरम: सबरीमाला मंदिर के पट आज से दो महीने के लिए खोले जाएंगे। लेकिन गुरुवार रात से ही वहां 22 नवंबर तक धारा 144 लागू कर दी गई है। इस दौरान वहां किसी तरह का धरना प्रदर्शन नहीं हो सकेगा। इधर केरल देवास्वम बोर्ड सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू कराने के लिए कोर्ट से कुछ और समय की मांग कर सकती है। वहीं महिला अधिकार कार्यकर्ता तृप्ती देसाई सहित करीब 500 महिलाओं ने केरल पुलिस की वेबसाइट पर सबरीमला मंदिर के दर्शन के लिए पंजीकरण करवाया है। तृप्ती देसाई इसके लिए कोच्चि पहुंच भी चुकी हैं।

पुणे से सुबह पांच बजे इंडिगो फ्लाइट से पहुंची देसाई को एयरपोर्ट से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी गई। सड़कों पर उतरकर प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से कहा कि वे देसाई को वहां से लेकर नहीं जाएं, इससे पूरे इलाके में तनाव बढ़ जाएगा। हालांकि, पुलिस ने देसाई को एक होटल में शिफ्ट करने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उसे एयरपोर्ट से बाहर निकालने से इनकार करते हुए उसे वापस जाने को कहा। देसाई ने पुलिस ने कहा कि वह पंबा तक एक टैक्सी भाड़े पर ले लें जो सबरीमाला मंदिर का बेस कैम्प है। वहां से करीब 5.5 किलोमीटर की यात्रा शुरू होती है।

तिरूवनंतपुरम: सबरीमाला मंदिर को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन की तरफ से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल पाया। सबरीमाला मामले पर कांग्रेस और भाजपा केरल के मुख्यमंत्री पी.विजयन द्वारा द्वारा बुलाई बैठक को बीच में ही छोड़कर बाहर निकल गए। मुख्यमंत्री ने मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश को लेकर हो रही खींचतान को लेकर यह बैठक बुलाई थी। खास बात यह है कि 17 नवंबर से ढाई महीनें लंबे चलने वाले 'मंडल मकराविलाकु' पावन महीने की शुरुआत हो रही है। इस पावन महीने के दौरान महिलाएं मंदिर में दर्शन के लिए आ सकती है। ऐसे में इसे लेकर कोई बवाल न हो इसे ध्यान में रखते हुए सीएम ने सभी पार्टी की बैठक बुलाई थी।

इस पावन महीने में दर्शन को लेकर बीते एक सप्ताह में 500 से ज्यादा महिलाओं ने केरल पुलिस की वेबसाइट पर अपना पंजीकरण कराया हुआ है। इन सब के बीच मुख्यमंत्री पी.विजयन ने इस पूरे विवाद के लिए भाजपा और आरएसएस को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि बीते कुछ दिनों में इस मामले को लेकर भाजपा के रुख के बारे मे सभी को पता चल गया है। अब यह सभी के सामने हैं कि किस तरह के भाजपा के नेताओं को जानबूझकर इस मामले में स्थिति बिगाड़ने के लिए कोशिशें कर चुके हैं।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केरल में स्थित सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के अपने फैसले पर रोक लगाने से मंगलवार को इंकार कर दिया परंतु वह इस पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिकाओं पर खुले न्यायालय में 22 जनवरी को सुनवाई के लिये तैयार हो गया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने चैंबर में इन पुनर्विचार याचिकाओं पर गौर किया और सारे मामले में न्यायालय में सुनवाई करने का निश्चय किया। चैंबर में होने वाली कार्यवाही में वकील उपस्थित नहीं रहते हैं। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा शामिल हैं।

न्यायालय ने अपने आदेश् में कहा, ''सभी पुनर्विचार याचिकाओं पर सभी लंबित आवेदनों के साथ 22 जनवरी, 2019 को उचित पीठ के समक्ष सुनवाई होगी। हम स्पष्ट करते है कि इस न्यायालय के 28 सितंबर, 2018 के फैसले और आदेश पर कोई रोक नहीं है।''

नई दिल्ली: केरल के सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए 16 नवंबर से शुरू हो रहे त्योहार के मौसम में ऑनलाइन आवेदन की शुरुआत पहले ही हो चुकी थी। इसके 1 सप्ताह के अंदर ही अब तक 10 से 50 वर्ष की उम्र की कुल 500 से अधिक महिलाओं ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। ऐसा तब हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंधित आयु वर्ग की महिलाओं को अनुमति देने के ऐतिहासिक फैसले का केरल में भारी विरोध हो रहा है। सबरीमाला मंदिर 16 नवंबर को फिर से खुलने जा रहा है।

त्रावणकोर बोर्ड के मुताबिक शुक्रवार तक करीब 3.50 लाख तीर्थयात्रियों ने दर्शन के लिए केरल पुलिस सुविधा केंद्र में रजिस्ट्रेशन करवाया है, जिनमें 10 से 50 वर्ष की उम्र वर्ग की 500 से अधिक महिलाएं शामिल हैं। मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने और सुचारु व्यवस्था कायम करने के लिए पुलिस ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू की है। ऑनलाइन रजिस्ट्रएशन के जरिए मंदिर परिसर में गड़बड़ी को रोकना भी संभव हो सकेगा।

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