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अहमदाबाद: पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता 22 वर्षीय हार्दिक पटेल नौ महीने जेल में बिताने के बाद जेल से बाहर आने वाले हैं कयोंकि गुजरात उच्च न्यायालय ने आज विसनगर के एक विधायक के कार्यालय में हिंसा से संबंधित एक मामले में जमानत मंजूर कर उनकी रिहाई का रास्ता खोल दिया। हालांकि हार्दिक को अगले छह महीने गुजरात के बाहर बिताने होंगे क्योंकि शुक्रवार को उच्च न्यायालय ने हार्दिक को देशद्रोह के दो मामलों में इसी शर्त पर जमानत दी थी। हार्दिक के वकील जुबिन भारदा ने कहा कि वह सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद कुछ दिन में जेल से बाहर आने वाले हैं। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि हार्दिक अगले छह महीनों के दौरान कहां रहेंगे। न्यायमूर्ति पीपी भट्ट ने आज हार्दिक की जमानत उस समय मंजूर की जब राज्य सरकार ने उनके आवेदन का विरोध नहीं किया और अब वह जेल से बाहर आएंगे। पाटीदार समुदाय के सदस्यों ने हार्दिक को जमानत मिलने की खबर का स्वागत किया। कांग्रेस ने संभावित रिहाई को ‘लोकतंत्र के लिए अच्छा’ बताया जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने कहा कि उनकी जमानत का विरोध नहीं करने के उसके फैसले के कारण वह जेल से बाहर आ पाएंगे और उन्हें आंदोलन के आपसी सहमति वाले समाधान की उम्मीद है। हालांकि अदालत ने शर्त लगाई है कि हार्दिक विसनगर कस्बे के जिले मेहसाणा में मामले की सुनवाई पूरी होने तक घुस नहीं पाएंगे।

अदालत ने यह भी कहा कि हार्दिक नौ महीने बाद इस शर्त में संशोधन का अनुरोध कर सकते हैं और अदालत उस समय उनके आचरण के आधार पर उचित आदेश पारित करेगी। पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के नेता 22 वर्षीय हार्दिक अभी सूरत की लाजपुर जेल में बंद हैं। वह अक्तूबर 2015 में गिरफ्तार हुए थे। उन्होंने अपने पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व किया था। हार्दिक पर पटेलों को ओबीसी आरक्षण की मांग स्वीकार करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए हिंसा भड़काने का आरोप है।

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