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नई दिल्ली: बिलकिस बानो के दोषियों की समयपूर्व रिहाई के मामले को लेकर जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच ने बड़ा फैसला सुनाते हुए दोषियों की सजा माफी का गुजरात सरकार का आदेश रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार फैसला लेने के लिए उचित सरकार नहीं है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट का 2022 का फैसला भी रद्द हो गया है। इसमें गुजरात सरकार को उचित सरकार बताया गया था और साथ ही कहा गया था कि 1992 की नीति पर विचार करें। कोर्ट ने कहा कि क्या दोषियों को फिर जेल भेजा जाए, ये सवाल हमारे सामने है।

दोषियों की रिहाई के लिए गुजरात सरकार सक्षम नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषियों की रिहाई के लिए गुजरात सरकार सक्षम नहीं है। रिहाई देने में महाराष्ट्र सरकार सक्षम सरकार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य जहां अपराधी पर ट्रायल चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, वह दोषियों को माफी याचिका पर फैसला करने में सक्षम है।

नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले और 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर आज अपना फैसला सुनाएगा।

न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने 11 दिन की सुनवाई के बाद बिलकिस बानो के दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर पिछले साल 12 अक्टूबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए केंद्र और गुजरात सरकार को 16 अक्टूबर तक 11 दोषियों की सजा में छूट संबंधी मूल रिकॉर्ड जमा करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में मामले की सुनवाई करते हुए पूछा था कि क्या दोषियों को माफी मांगने का मौलिक अधिकार है?

सुप्रीम कोर्ट ने पहले की सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार से कहा था कि राज्य सरकारों को दोषियों को सजा में छूट देने में ‘चयनात्मक रवैया' नहीं अपनाना चाहिए और प्रत्येक कैदी को सुधार तथा समाज के साथ फिर से जुड़ने का अवसर दिया जाना चाहिए।

नई दिल्ली: बिलकीस बानो के दोषियों की समय से पहले रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार 8 जनवरी को फैसला सुनाएगा। जस्टिस बी.वी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। 12 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अब 11 दिनों तक चली सुनवाई के बाद देश की सर्वोच्च अदालत यह तय करेगा कि बिलकीस के गुनाहगार वापस जेल जाएंगे या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई संबंधी सारे मूल दस्तावेज ट्रांसलेशन के साथ दाखिल करने कहा है। बिलकीस के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनकी 3 साल की बेटी सहित उनके 7 रिश्तेदारों की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए 11 लोगों की समय से पहले रिहाई को चुनौती दी गई थी।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार पर कई बड़े सवाल खड़े किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा था कि दोषियों को मौत की सजा के बाद वाली सजा यानि उम्रकैद मिली। ऐसे में वो 14 साल की सजा काटकर कैसे रिहा हुए? 14 साल की सजा के बाद रिहाई की राहत बाकी कैदियों को क्यों नहीं?

अहमदाबाद: गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले के जिंजुवाड़ा गांव में शुक्रवार दोपहर पुलिस के एक दल पर धारदार हथियारों और लाठियों से लैस भीड़ ने हमला कर एक कुख्यात अपराधी को छुड़ा लिया। भीड़ के हमले में एक दरोगा समेत तीन पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस उपाधीक्षक जेडी पुरोहित ने कहा कि उपनिरीक्षक केसी डांगर और दो कांस्टेबल पर उस समय हमला किया गया, जब वे एक कथित शराब तस्कर जलसिंह जाला के साथ एक निजी कार से जिंजुवाड़ा पुलिस थाना लौट रहे थे। कुछ समय फरार रहने के बाद जाला को पकड़ा गया था।

दरोगा समेत तीन पुलिसकर्मी घायल

उन्होंने बताया कि भीड़ के हमले में डांगर को गंभीर चोटें आईं और उन्हें अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि दो कांस्टेबल को भी मामूली चोटें आई हैं। पुलिस उपाधीक्षक ने कहा, "इस दौरान जाला भागने में कामयाब रहा। उसे और पुलिस दल पर हमला करने वाली भीड़ में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए कई टीम गठित की गई हैं।

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