गांधीनगर: गुजरात के भूमि अधिग्रहण विधेयक 2016 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है और स्वतंत्रता दिवस के दिन से इसे राज्य में लागू किया जाएगा. इसमें केंद्र के कठोर भूमि अधिग्रहण विधेयक 2013 के प्रावधानों को कमतर किया गया है. विधेयक में सार्वजनिक उद्देश्यों, औद्योगिक कॉरीडोर और सार्वजनिक-निजी भागीदारी की योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण करने की खातिर सामाजिक प्रभाव आकलन और सहमति के नियमों को हटा दिया गया है. राजस्व मंत्री भूपेंद्र सिंह चूडासामा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ''राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 'जमीन अधिग्रहण, पुनर्वास और स्थान परिवर्तन (गुजरात संशोधन) विधेयक 2016 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार' को आठ अगस्त को अपनी सहमति दे दी.'' उन्होंने कहा,''हम राज्य में नये कानून को स्वतंत्रता दिवस पर 15 अगस्त से लागू करेंगे.'' राज्य सरकार इसे 15 अगस्त से पहले कानून के रूप में अधिसूचित कर देगी. उन्होंने कहा, ''2013 के संप्रग भूमि कानून में कई विसंगतियां थीं. हमारे नए संशोधित कानून में इन विसंगतियों को हटा दिया जाएगा और इससे राज्य में तेजी से विकास होगा.'' संशोधित विधेयक को इस वर्ष 31 मार्च को राज्य विधानसभा में पारित किया गया. फिर इसे राष्ट्रपति के पास सहमति के लिए भेज दिया गया. x वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से नरेंद्र मोदी की सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में संशोधन किया था. राजग सरकार ने जो भी संशोधन किया था वे सभी उस विधेयक का हिस्सा थे जिसे गुजरात विधानसभा ने पारित किया.
राजग के विधेयक को राज्यसभा में पारित नहीं किया जा सका क्योंकि भाजपा और इसके सहयोगी संगठनों के पास ऊपरी सदन में संख्या बल की कमी थी. फिर मोदी सरकार ने विधेयक को राज्यसभा में पारित कराने के विचार को छोड़ दिया और राज्यों से कहा कि जैसा उपयुक्त लगे कानून में संशोधन करें.