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अहमदाबाद: गुजरात में 2002 में गुलबर्ग सोसायटी में हुए नरसंहार मामले की सुनवाई कर रही विशेष एसआईटी अदालत संभवत: सोमवार को मामले में सजा सुनाने की तारीख तय करेगी। इस नरसंहार में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोगों की हत्या के मामले में 24 दोषियों को सजा सुनायी जानी है। अभियोजन पक्ष की ओर से आज अंतिम दलीलों के बाद सजा पर बहस खत्म होने के साथ ही विशेष एसआईटी अदालत के न्यायाधीश पी.बी. देसाई ने मामले की सुनवाई 13 जून तक के लिए स्थगित कर दी। उम्मीद की जा रही है कि 13 जून को वह सजा सुनाने की तारीख तय करेंगे। बहस के दौरान विशेष लोक अभियोजक और एसआईटी के वकील आर. सी. कोडेकर ने गुलबर्ग कांड में जीवित बचे लोगों और मृतकों के परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे से संबंधित विभिन्न सरकारी प्रस्ताव अदालत को सौंपे। हालांकि अदालत इससे संतुष्ट नहीं हुई और कहा कि इस तरह के मामलों में मुआवजा तय करने के लिए कोई स्पष्ट फार्मूला नहीं है। न्यायाधीश ने सवाल किया, ‘मुआवजा किसे? किस आधार पर? किस हद तक? आप जितना मांग कर रहे हैं यह उतना आसान नहीं है। इस मामले को हम कितना लंबा खीचेंगे?’ कड़ी सजा की मांग करते हुए कोडेकर ने अदालत को बताया कि यह मामला ‘दुर्लभतम से दुर्लभ’ की श्रेणी में आता है और सजा द्वारा यह उदाहरण पेश किया जाना चाहिए कि समाज में ऐसी करतूतों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

मामले की सुनवायी के दौरान सोमवार को अभियोजन पक्ष ने इस मामले में दोषी ठहराए गए सभी 24 लोगों को मौत की सजा देने की मांग की थी। हालांकि बचाव पक्ष के वकील ने सजा में कुछ नरमी बरतने की मांग की है। आज अभियोजन पक्ष को मौका दिया गया कि वह बचाव पक्ष की ओर से रखी गयी दलीलों पर अपनी जिरह पेश करे।

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