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नई दिल्ली: भाजपा ने अपने सबसे मजबूत गढ़ गुजरात को सियासी उलटफेर की आशंका से बचाने के लिए बड़े फेरबदल की तैयारी शुरू कर दी है। पाटीदार आंदोलन से बने हालात में मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को बदले जाने की प्रबल संभावना है। मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को हटाए जाने का ऐलान 20 मई के बाद होने की संभावना है और उन्हें राज्यपाल का पद दिया जा सकता है। आनंदी बेन पटेल ने गुजरात में नरेंद्र मोदी की विरासत संभाली थी। इस लिहाज से बीच कार्यकाल में उनका जाना कई सवाल खड़े कर रहा है। आनंदी बेन पटेल ने 22 मई 2014 को शपथ ली थी यानी अगर उन्हें अगले कुछ दिनों में हटाया गया तो वह अपने दो साल भी पूरे नहीं कर पाएंगी। माना जा रहा है कि पाटीदार आंदोलन से निबटने के अलावा कई और मोर्चों पर नाकामी की वजह से आनंदी बेन पटेल को हटाने की बात चल रही है। उनके उत्तराधिकारी के रूप में राज्य सरकार के मंत्री नितिन भाई पटेल का नाम सबसे आगे है। हालांकि चर्चा में पुरुषोत्तम रूपाला, विधानसभा अध्यक्ष गनपत भाई वसावा के नाम भी हैं। आनंदीबेन को पंजाब या हरियाणा का राज्यपाल बनाया जा सकता है। पांच विधानसभाओं के नतीजे आने के बाद इस बदलाव पर अमल किए जाने के आसार हैं। भाजपा नेतृत्व ने गुजरात के हालात का आकलन का दायित्व वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश माथुर को सौंपा था।

माथुर ने अपनी रिपोर्ट में राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के साथ सरकार व सगंठन को दुरुस्त करने के लिए दस अहम सुझाव दिए हैं। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने इस बारे में प्रदेश के अन्य नेताओं से भी काफी जानकारी ली है। आनंदीबेन को सबसे ज्यादा नुकसान पाटीदार आंदोलन से हुआ है। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के आंदोलन से राज्य में भाजपा के वोट बंैंक के बिखरने का खतरा खड़ा हो गया था। सूत्रों के अनुसार पार्टी का एक वर्ग राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को गुजरात संभालने के लिए वहां भेजने के पक्ष में था, लेकिन उनके उपर उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले सबसे अहम चुनाव की जिम्मेदारी है। ऐसे में पार्टी पटेल नेता नितिन भाई पटेल पर दांव लगा सकती है। सूत्रों के अनुसार गुजरात की मुख्यमंत्री की सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से हुई मुलाकात में भी नेतृत्व परिवर्तन पर विचार विमर्श हुआ है। माना जा रहा है कि आनंदीबेन पटेल ने केंद्रीय नेतृत्व की सलाह मान ली है।

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