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रायपुर: बीजेपी ने छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री के रूप में विष्णु देव साय के नाम का एलान कर दिया है। सियासी जानकारों का मानना है कि पार्टी ने यह फैसला राज्य में आदिवासी वोटर्स को ध्यान में रखते हुए किया है। इससे पहले भी आदिवासी वोटर को साधने के लिए बीजेपी ने कई एलान किए थे। ऐसे में कहा जा सकता है कि बीजेपी ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत साय को मुख्यमंत्री के रूप में आगे किया है।

छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोटर काफी निर्णायक माना जाता है। राज्य की 34 फीसदी आबादी आदिवासी है और 29 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रहती हैं। माना जाता है कि छत्तीसगढ़ में बिना आदिवासी वोटर के कोई भी पार्टी सरकार नहीं बना सकती है।

इस बार छत्तीसगढ़ चुनाव में जो इन 29 आरक्षित सीटें में से 17 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की। पिछली बार इन्हीं सीटों पर पार्टी का सूपड़ा साफ हुआ था। हालांकि, इस बार यह वोट बीजेपी के पाले में आया है, जिसकी एक बड़ी वजह विष्णु देव साय रहे हैं।

2018 में कांग्रेस ने जीती थी 27 सीट

2018 में यहां कांग्रेस ने 27 सीटें जीती थीं। इन सीटों पर कांग्रेस को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। हालांकि, 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने राज्य की 11 सीटों में 8 पर जीत हासिल की थी। इतना ही नहीं आदिवासियों के लिए आरक्षित 4 में 3 पर भगवा पार्टी ने जीत का परचम लहराया था।

बीजेपी से नाराज वोटर्स नहीं गया कांग्रेस के साथ

इस बार बीजेपी ने रमन सिंह को सीएम के रूप में पेश नहीं किया, जिसका फायदा भी पार्टी को हुआ। दरअसल, सलवा जुडूम कार्यक्रम के कारण आदिवासी वोटर्स 2018 में रमन सिंह से नाराज हो गए थे। यह कारण है पिछले विधानसभा चुनाव में लोगों ने बीजेपी को वोट नहीं दिया था।

द्रौपदी मुर्मू को बनाया राष्ट्रपति

इस बीच कांग्रेस ने देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति दिया और द्रौपदी मुर्मू को देश के सर्वोच्च पद पर बैठाया। इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने देशभर में आदिवासी समाज के लिए कई और काम भी किए और कई योजनाएं पेश कीं।

छत्तीसगढ़ में ग्रामीण इलाके में होती है ज्यादा वोटिंग

छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है, जहां शहर क्षेत्रों से ज्यादा ग्रामीण इलाकों के वोटर्स ज्यादा जागरूक हैं और यहां ग्रामीण इलाकों में वोट प्रतिशत ज्यादा होता है। साल 2018 के विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो यहां विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 85 लाख 88 हजार 520 थी।

इसमें 1 करोड़ 42 लाख 90 हजार 497 ने वोट दिया. इस दौरान वोटिंग प्रतिशत 76.88 रहा। वहीं, इस चुनाव में अुनसूचित जाति के वोटरों की कुल संख्या 2257034 थी। इनमें 1685986 वोटरों ने वोट दिया था। यानि 74.70 फीसदी वोटर्स ने अपने मत का इस्तेमाल किया था।

 

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