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रांची: टेंडर कमीशन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत अनुसंधान कर रही ईडी ने बुधवार को संसदीय कार्य मंत्री सह ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम को गिरफ्तार कर लिया है। दिनभर चली पूछताछ के बाद शाम करीब साढ़े छह बजे ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया है। ईडी ने हाल ही में उन्हें पूछताछ के लिए रांची दफ्तर तलब किया था।

इससे पहले, मंगलवार 14 मई को कांग्रेस नेता आलम धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए मंगलवार को ईडी के सामने पेश हुए थे। राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलम सुबह करीब 11 बजे ईडी कार्यालय पहुंचे थे। उनसे नौ घंटे पूछताछ हुई थी। आलम ने दफ्तर पहुंचने से पहले पत्रकारों से बात की थी। उन्होंने कहा था कि मैं कानून का पालन करता हूं। मैं पूछताछ के लिए यहां आया हूं।

छापेमारी में नौकर के घर से मिली थी नकदी

ईडी ने हाल ही में, आलम के सचिव संजीव लाल और उसके नौकर जहांगीर आलम, बिल्डर मुन्ना सिंह और उनके करीबियों समेत नौ ठिकानों पर छापेमारी की थी। कार्रवाई राज्य ग्रामीण विकास विभाग में कथित अनियमितताओं के मामले में की गई थी।

छापेमारी के तहत रांची के एक 2 बेडरूम फ्लैट में छापा मारा गया। यह फ्लैट कथित तौर पर संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम का है। फ्लैट से ईडी ने 32 करोड़ रुपये बरामद किए। वहीं अन्य ठिकानों पर छापेमारी से करीब चार करोड़ रुपये नकद बरामद किए। इस तरह अब तक करीब 36 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हो हुई है।

मामले में आलम ने अपनी ओर से कोई भी गलत काम से इनकार किया है। छापेमारी में बड़ी संख्या में नकदी बरामद हुई, जिसकी गिनती के लिए नोट गिनने वाली पांच मशीने और बैंक के कर्मचारियों को लगाया गया। ईडी ने छापेमारी में जमीन जायदाद के दस्तावेज भी बरामद किए हैं।

अदालत में ईडी ने दी यह दलील

ईडी ने आलम के सचिव और नौकर को छापेमारी के अगल दिन ही गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें अदालत में पेश करके ईडी ने बताया था कि झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम के सचिव ने कुछ प्रभावशाली लोगों की ओर से टेंडरों पर कमीशन इक्ट्ठा किया था। उन्होंने दावा किया कि ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी ऊपर से नीचे तक अवैध नकद भुगतान सांठगांठ में कथित रूप में शामिल थे। ईडी ने आगे बताया कि निविदाओं और इंजीनियरों से कमीशन की वसूली के बाद कमीशन का कुछ प्रतिशत सरकार के उच्च अधिकारियों को वितरित किया जाता था। मामले में कई वरिष्ठ नौकरशाहों और राजनेताओं के नाम सामने आए हैं। इसकी जांच की जा रही है। ईडी ने कहा कि भुगतान आमतौर पर नकदी में प्राप्त किया जाता था, जिसे बाद में सफेद कर दिया जाता था। इस पूरे गुनाह का खुलासा होना महत्वपूर्ण है। ईडी ने दावा किया कि लाल और आलम ने अवैध धन को विभिन्न स्थानों पर छिपाया था। आलम के नाम पर पंजीकृत दो वाहन भी परिसर में पाए गए, जहां छापामारी की गई थी। ईडी ने तमाम दलील देते हुए दोनों आरोपियों की हिरासत मांगी, जिसे न्यायाधीश प्रभात कुमार शर्मा की अदालत ने स्वीकार की और दोनों छह दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया था।

 

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