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रांची (जनादेश ब्यूरो): झारखंड के सीपी राधाकृष्णन ने चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का न्यौता दे दिया। आज 2 फरवरी को उन्हें सीएम पद की शपथ दिलाई जाएगी। अभी समय की कोई जानकारी नहीं आई है। इस तरह से झारखंड का सियासी सस्पेंस खत्म हो गया और सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया। चंपई सोरेन के साथ आलमगीर आलम और सत्येंद्र भोक्ता शपथ ले सकते हैं। सत्येंद्र भोक्ता आरजेडी से हैं, जबकि आलमगीर आलम कांग्रेस के विधायक हैं। इससे पहले गुरुवार को साढ़े पांच बजे चंपई सोरेन ने राज्यपाल से मुलाकात की थी और सरकार बनाने का दावा पेश किया था। उन्होंने 43 विधायकों के समर्थन का दावा किया।

जेएमएम प्रमुख एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अपने पद से इस्तीफा देने के बाद ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। जहां आज सुनवाई होनी है। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी होने से पहले जेएमएम प्रमुख सोरेन के नेतृत्व में हुई बैठक में चंपई सोरेन को जेएमएम विधायक दल का नया नेता चुना गया था।

बैठक में चंपई का नाम राज्य के नये मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तावित किया गया और उसके बाद एक समर्थन पत्र हेमंत सोरेन  के नेतृत्व में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को सौंपा गया था।

किन किन दलों के विधायकों का है समर्थन

इससे पहले विधायकों में टूट के 'डर' से उन्हें राज्य से बाहर भेजने का फैसला किया गया। उन्हें हैदराबाद भेजने की तैयारी थी, लेकिन खराब मौसम की वजह से विमान उड़ान नहीं भर पाया और विधायकों को वापस लौटना पड़ा। कुल 40 विधायकों को हैदराबाद भेजने की तैयारी थी। चंपई सोरेन के पास जिन 43 विधायकों का समर्थन है। उसमें के जेएमएम 24, कांग्रेस के 17, आरजेडी और सीपीआई (एमएल) के एक-एक विधायक शामिल हैं। एयरपोर्ट पर करीब दो घंटे के इंतजार के बाद विधायक सर्किट हाउस लौट गए, जहां वे ठहरे हुए हैं।

'झारखंड टाइगर' के नाम से जाने जाते हैं चंपई सोरेन

67 साल चंपई सोरेन का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है। जेएमएम संस्थापक शिबू सोरेन के वफादार माने जाने वाले राज्य के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन को 1990 के दशक में अलग (झारखंड) राज्य के लिए चली लंबी लड़ाई में योगदान देने को लेकर ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से भी जाना जाता है। सरकारी स्कूल से मैट्रिक तक की पढ़ाई करने वाले चंपई की शादी काफी कम उम्र में ही हो गई थी। उनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं। उन्होंने 1991 में सरायकेला सीट से उपचुनाव में निर्दलीय विधायक चुने जाने के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की। इसके चार साल बाद उन्होंने जेएमएम के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और बीजेपी उम्मीदवार पंचू टुडू को हराया था।

चंपई सोरेन ने जेएमएम विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद मीडिया से कहा, ‘‘मैं अपने पिता (सिमल सोरेन) के साथ खेतों में काम किया करता था...अब किस्मत ने मुझे एक अलग भूमिका निभाने का मौका दिया है।’’

वहीं, 2000 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर वह बीजेपी के अनंत राम टुडू से हार गए। उन्होंने 2005 में, बीजेपी उम्मीदवार को 880 मतों के अंतर से शिकस्त देकर इस सीट पर फिर से अपना कब्जा जमा लिया। चंपई ने 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में भी जीत हासिल की। वह सितंबर 2010 से जनवरी 2013 के बीच अर्जुन मुंडा नीत बीजेपी-जेएमएम गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे। हेमंत सोरेन ने जब 2019 में राज्य में सरकार बनाई, तब चंपई खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और परिवहन मंत्री बनाये गए थे।

 

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