ताज़ा खबरें
एलजी ने सीएम आतिशी को केजरीवाल से ‘हजार गुना बेहतर’ बताया
कैशकांड पर विनोद तावड़े ने राहुल-खड़गे-श्रीनेत को भेजा कानूनी नोटिस

रांची: चारा घोटाले में रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव को साढ़े तीन साल की सज़ा और पांच लाख रूपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके साथ ही, अदालत ने बाकी दोषियों फूलचंद, महेश प्रसाद, बेक जूलियस, सुनील कुमार, सुधीर कुमार और राजा राम को भी साढ़े तीन साल की सज़ा और पांच लाख रूपये का जुर्माना लगाया गया।

कानून के जानकारों का कहना है कि लालू यादव को तीन साल से ज्यादा की सज़ा सुनाई गई है इसलिए जमानत के लिए उन्हें ऊपरी अदालत का रूख करना होगा। अगर तीन साल या उससे कम की सज़ा होती तो उन्हें यही से जमानत मिल जाती।

उधर, फैसला आने के बाद लालू यादव के बेटे तेजस्वी ने कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाएंगे। तेजस्वी ने कहा कि न्यायपालिका ने अपना फैसला सुना दिया है। हम अब फैसले का अध्ययन करने के बाद बेल के लिए हाईकोर्ट जाएंगे।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए लालू 

लालू यादव जिस वक्त सीबीआई की विशेष अदालत की तरफ से फैसला सुनाया जा रहा था वे रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में मौजूद थे और हाथ जो़डकर खड़े थे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लालू हाथ जोड़े हुए खड़े नजर आ रहे हैं।

इससे पहले लालू यादव की तरफ से रहम की अपील भी की गई थी। लालू यादव के वकील की तरफ से सज़ा में नरमी की अपील की गई थी। लालू यादव को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत आपराधिक जुर्म के चलते ये सज़ा दी गई है।

लालू और 10 अन्य को ये सज़ा 1990 से 1994 के दौरान देवघर कोषागार से फर्जी बिल के जरिए 89.21 लाख रूपये निकालने के लिए दी गई है। इससे पहले लालू यादव को साल 2013 में चाईबासा कोषागार से 33.61 करोड़ रूपये फर्जीवाड़े तरीके से निकालने का दोषी पाया गया था और अदालत ने उन्हें पांच साल कैद की सज़ा सुनाई थी।

लालू के स्वास्थ्य की चिंता है-शरद यादव

शरद यादव ने कहा कि रांची की विशेष सीबीआई अदालत का बिहार की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि फैसले की कोई चिंता नहीं है लेकिन उन्हें लालू यादव के सिर्फ स्वास्थ्य की चिंता है।

क्या है चारा घोटाला?

उल्लेखनीय है कि चारा घोटाले का यह मामला देवघर कोषागार से 89 लाख रुपये से अधिक की अवैध निकासी का है। सीबीआई ने इस मामले में 15 मई 1996 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी तथा 28 मई 2004 को आरोप पत्र दायर किया था। इस मामले में 26 सितंबर 2005 को आरोप गठन किया गया था। इस मामले में पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने पशु चारा और दवा के नाम पर अवैध निकासी की थी। इसके लिए फ़र्ज़ी आवंटन आदेश का इस्तेमाल किया था। जांच से बचने के लिए टुकड़ों-टुकड़ों में 1० हजार रुपये से कम का बिल ट्रेजरी में पेश किया था।

इस मामले में पिछले वर्ष 23 दिसंबर को अदालत ने राजद अध्यक्ष श्री यादव, पूर्व सांसद जगदीश शमार्, पूर्व विधायक आर. के. राणा, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जुलियस एवं महेश प्रसाद के अलावा अधिकारी कृष्ण कुमार प्रसाद, सुबीर भट्टाचार्य,सप्लायर और ट्रांसपोर्टर त्रिपुरारी मोहन, सुशील सिंह, सुनील सिंह, राजाराम जोशी, गोपीनाथ दास, संजय अग्रवाल, ज्योति कुमार झा और सुनील गांधी को भारतीय दंड विधान की धारा 420, 467, 468, 477 ए और 120 बी के तहत दोषी करार दिया था।

वहीं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र, पूर्व पशुपालन मंत्री विद्यासागर निषाद, लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, प्रशासनिक अधिकारी ए. सी. चौधरी के अलावा सप्लायर और ट्रांसपोर्टर सरस्वती चंद्रा तथा साधना सिंह को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख