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रांची: यहां की एक विशेष सीबीआई अदालत ने चारा घोटाले के एक मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सहित 16 लोगों को दोषी करार दिया, जिनको तीन जनवरी को सजा सुनाई जाएगी। वहीं इस मामले में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र सहित छह लोगों को अदालत ने निर्दोष करार देते हुए रिहा कर दिया। इस मामले में दोषी ठहराये गए सभी 16 लोगों को हिरासत में लेकर बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया है।

चारा घोटाले के इस मामले में कुल 22 लोगों को आरोपी बनाया गया था। अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र के अलावा बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद और पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, हार्दिक चंद्र चौधरी, सरस्वती चंद्र और साधना सिंह को दोषमुक्त करार कर दिया।

21 साल पुराने इस मामले में सीबीआई ने शुरु में 38 लोगों को आरोपी बनाया था। इसमें 11 की मौत ट्रायल के दौरान हो गई। दो आरोपी सरकारी गवाह बन गए और निर्णय के पूर्व ही अपना दोष स्वीकार कर लिया। सीबीआई ने इस मामले में देवघर कोषागार से फर्जी बिल बना कर राशि की निकासी करने का आरोप लगाया है।

आपूर्तिकर्ताओं पर बिना सामान की आपूर्ति किए बिल देने और विभाग के अधिकारियों पर बिना जांच किए उसे पास करने का आरोप है। लालू प्रसाद पर गड़बड़ी की जानकारी होने के बाद भी इस पर रोक नहीं लगाने का आरोप है। डॉ जगन्नाथ मिश्र पर पशुपालन विभाग के उन अधिकारियों को सेवा विस्तार की सिफारिश करने का आरोप है, जो इस घोटाले में शामिल थे।

इस मामले में लालू की ओर से 22 गवाह पेश किए गए। सभी पक्षों को सुनने और गवाहों के बयान दर्ज करने के बाद अदालत ने 14 दिसंबर को सुनवाई पूरी कर 23 दिसंबर को फैसले की तिथि निर्धारित की। इस दिन सभी आरोपियों को अदालत में सशरीर हाजिर होने का निर्देश भी अदालत ने दिया ।

राजनीतिज्ञ आरोपी - लालू प्रसाद, डॉ जगन्नाथ मिश्र, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, पूर्व मंत्री डॉ आरके राणा, बिहार के पूर्व पशुपालन मंत्री विद्या सागर निषाद व पीएसी के पूर्व अध्यक्ष ध्रुव भगत। आईएएस अधिकारी - पूर्व पशुपालन सचिव बेक जुलियस, महेश प्रसाद, पूर्व वित्त आयुक्त फूलचंद सिंह एवं पूर्व आयकर आयुक्त अधिप चंद्र चौधरी, कृष्ण कुमार प्रसाद, सुबीर भट्टाचार्य, त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, संजय कुमार अग्रवाल,ज्योति कुमार झा, गोपीनाथ दास, सुनील गांधी, सरस्वती चंद्रा, साधना सिंह, राजाराम जोशी, सुशील कुमार।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही सुनवाई

लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र एवं अन्य आरोपियों को मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुई। चाईबासा कोषागार ( आरसी 20 ए/96) से अवैध निकासी के मामले में लालू, जगन्नाथ समेत 42 आरोपियों को सजा हुई थी। इसके बाद जगन्नाथ मिश्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मिश्र की ओर से दलील दी गई कि चारा घोटाले के एक मामले में उन्हें सजा दे दी गई है। अन्य मामले भी इसी प्रकृति के हैं। सभी मामले में एक ही साक्ष्य और गवाह शामिल हैं। सीआरपीसी के प्रावधानों के अनुसार एक मामले में सजा होने के बाद उसी साक्ष्य और गवाहों के आधार पर दूसरे मामले में सजा नहीं दी जा सकती। इस आधार पर उन्होंने शेष सभी मामलों को रद करने का आग्रह किया । हाईकोर्ट ने इस आग्रह को स्वीकार करते हुए जगन्नाथ मिश्र के खिलाफ सभी मामले रद कर दिए। इसके बाद लालू ने भी हाईकोर्ट में इसी आधार पर अपने शेष मामले रद करने का आग्रह किया। हाईकोर्ट ने लालू के खिलाफ कई धाराओं को समाप्त कर दिया। हाईकोर्ट के इन आदेशों को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सभी मामले एक ही कोषागार से संबंधित हैं। लेकिन राशि अलग- अलग है। कई बातें अलग हैं। इस कारण सभी मामलों की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश रद कर निचली अदालत को सभी लंबित मामलों का ट्रायल शुरु कर नौ महीने में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया। इसके बाद से इन मामलों की सुनवाई हो रही है।

पहले से ही सजायाफ्ता थे लालू, जगन्नाथ

चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र समेत 42 आरोपियों को वर्ष 2013 में ही सजा मिली थी। सीबी्आई कोर्ट ने लालू को पांच, जगन्नाथ मिश्र को चार साल की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ दोनों ने हाईकोर्ट में अपील की है जो सुनवाई के लिए लंबित हैं। दोनों अभी जमानत पर हैं।

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